हिमाचल प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों से जारी पीएचडी की डिग्रियों की जांच शुरू हो गई है। निर्धारित नियमों का पालन किए बिना कई शिक्षण संस्थानों पर पीएचडी की डिग्रियां देने का आरोप है।
राज्य निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने शिकायतें मिलने पर डिग्रियों की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है। वर्ष 2009 से जारी डिग्रियों का निजी विश्वविद्यालयों से रिकॉर्ड तलब किया गया है।
राजस्थान के कुछ निजी विश्वविद्यालयों पर यूजीसी के नियमों को धता कर डिग्रियां देने का आरोप है। हरियाणा में राजस्थान के निजी विश्वविद्यालयों से फर्जी तरीके से जारी डिग्रियां देने के मामले सामने आए हैं। इस पर संज्ञान लेते हुए निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने प्रदेश में भी पीएचडी डिग्रियों की जांच करवाने का फैसला लिया है।
आयोग के पास पहुंचीं शिकायतों के अनुसार प्रदेश के कुछ निजी विश्वविद्यालयों में पीएचडी डिग्री देने के लिए यूजीसी से निर्धारित नियमों को पूरा नहीं किया जा रहा है। पीएचडी की डिग्री तीन वर्ष की होती है। इसे छह वर्षों के भीतर पूरा किया जा सकता है।
शिकायतों के अनुसार डिग्री देने के लिए कुछ विश्वविद्यालय समय अवधि तक का ध्यान नहीं रख रहे हैं। आवश्यक औपचारिकताओं को भी पूरा नहीं किया जा रहा है। ऐसे में इन शिकायतों की सत्यता जांचने के लिए आयोग ने जांच कमेटी गठित कर दी है।
आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल सेवानिवृत्त अतुल कौशिक ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के सभी निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से पीएचडी डिग्रियों की जानकारी मांगी गई है। जांच के लिए कमेटी का भी गठन कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि नियमों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं होगी।