New Delhi News: आज के दौर में इंटरनेट (Internet) हमारी जिंदगी का सबसे अहम हिस्सा बन गया है। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक हम इसका इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस इंटरनेट पर हम इतना निर्भर हैं, उसका असली मालिक कौन है? क्या इसे कोई सरकार चलाती है या कोई बड़ी कंपनी? इसका जवाब आपको चौंका सकता है। सच यह है कि इंटरनेट का कोई एक मालिक नहीं है। यह किसी एक व्यक्ति, देश या कंपनी के नियंत्रण में नहीं है।
हजारों नेटवर्कों का एक साझा जाल
इंटरनेट असल में दुनिया भर के हजारों छोटे-बड़े नेटवर्कों का एक समूह है। ये नेटवर्क अपनी मर्जी से एक-दूसरे से जुड़ते हैं। कोई भी एक संस्था पूरे इंटरनेट को कंट्रोल नहीं करती है। इसे सुचारू रूप से चलाने के लिए अलग-अलग स्तर पर कई कंपनियां मिलजुल कर काम करती हैं। इस सिस्टम की सबसे ऊपरी परत पर ‘टियर-1’ कंपनियां होती हैं। इनमें टाटा कम्युनिकेशंस, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल हैं।
समुद्र के नीचे बिछी हैं केबल
आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया का 99 प्रतिशत इंटरनेट डेटा सैटेलाइट से नहीं, बल्कि समुद्र के नीचे बिछी केबलों से चलता है। टियर-1 कंपनियां समुद्र में फाइबर ऑप्टिक केबल बिछाकर महाद्वीपों को आपस में जोड़ती हैं। भारत में इनके मुख्य लैंडिंग पॉइंट मुंबई, चेन्नई और कोच्चि में हैं। अगर समुद्र में किसी एक केबल में खराबी आ जाए, तो कई देशों में इंटरनेट ठप हो सकता है।
कैसे पहुंचता है हमारे घर तक नेट?
टियर-1 कंपनियों से इंटरनेट बैंडविड्थ खरीदकर ‘टियर-2’ कंपनियां उसे देश के अंदर बांटती हैं। भारत में रिलायंस जियो, एयरटेल और बीएसएनएल जैसी कंपनियां इसी श्रेणी में आती हैं। इसके बाद ‘टियर-3’ कंपनियां आती हैं, जो स्थानीय स्तर पर काम करती हैं। ये कंपनियां हमारे घरों और दफ्तरों तक कनेक्शन पहुंचाती हैं। वहीं, इंटरनेट के नियम और मानक तय करने का काम ICANN जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं करती हैं।
