Himachal Pradesh News: राजकीय महाविद्यालय हमीरपुर में एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। प्राणीशास्त्र विभाग ने पर्यावरण, संस्कृति और आध्यात्मिकता विषय पर दो दिवसीय कार्यक्रम रखा। यह संगोष्ठी रविवार को सफलतापूर्वक संपन्न हुई। कार्यक्रम में डॉ भीमराव अंबेडकर के जीवन पर भी चर्चा हुई।
यह आयोजन हाइब्रिड मोड में किया गया था। देश और विदेश के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों ने इसमें भाग लिया। शोधकर्ताओं और विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। संगोष्ठी का संचालन विभागाध्यक्ष डॉ कृष्ण लाल के मार्गदर्शन में हुआ।
विभिन्न विषयों पर विस्तृत प्रस्तुतियां
प्राचार्य डॉसतीश सोनी ने उद्घाटन सत्र में प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया। राजस्थान के शोधकर्ता श्याम निमोही ने डॉ अंबेडकर के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने सामाजिक संघर्ष और अस्पृश्यता विरोधी आंदोलनों की चर्चा की। शिक्षा और समानता के प्रति उनके प्रयासों का भी उल्लेख किया।
लद्दाख से प्रोफेसर जिगमेट यंगचेन ने ऑनलाइन व्याख्यान दिया। उन्होंने लद्दाख के इतिहास और कृषि प्रणाली पर बात की। नई तकनीकों के प्रयोग पर भी उन्होंने अपने विचार रखे। डॉ कृष्ण लाल ने हिमाचल में मत्स्य संरक्षण पर प्रस्तुति दी।
उन्होंने मत्स्य पालन के नियमों और विनियमन पर जानकारी साझा की। डॉ चहल ने भारतीय संविधान में समानता की अवधारणा को समझाया। उन्होंने संत कबीर और संत रैदास की शिक्षाओं का जिक्र किया। अंबेडकरवादी दृष्टिकोण से इसकी व्याख्या की गई।
वैज्ञानिक और सामाजिक पहलुओं पर चर्चा
वनस्पतिविज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ विजय कुमार ने मनोसक्रिय पौधों पर बात की। उन्होंने इन पौधों के सामाजिक प्रभावों की जानकारी दी। डॉ संदीप कुमार ने छोटी पहाड़ी नदियों की जैव विविधता पर व्याख्यान दिया। आवास संरक्षण और सतत उपयोग पर उन्होंने प्रकाश डाला।
प्रोफेसर हर्षा ने जीव-जंतुओं के वर्गीकरण पर ऑफलाइन प्रस्तुति दी। उन्होंने विभिन्न प्राणियों की विशेषताओं के बारे में बताया। प्रोफेसर संजय चौहान ने पृथ्वी कृमि की वर्गिकी पर विस्तृत चर्चा की। पारिस्थितिकी और प्रजनन प्रणाली पर भी उन्होंने प्रकाश डाला।
संगोष्ठी के समापन से पूर्व डॉ कृष्ण लाल ने फिर से बात रखी। उन्होंने डॉ अंबेडकर के जीवन संघर्षों का विवरण दिया। सामाजिक समरसता के उनके प्रयासों पर प्रभावी प्रस्तुति दी गई। इससे प्रतिभागियों को महत्वपूर्ण जानकारी मिली।
शैक्षणिक आयोजनों का महत्व
भारत सरकार केशिक्षा मंत्रालय ने बहु-विषयक संगोष्ठियों को प्रोत्साहित किया है। ऐसे आयोजन शैक्षणिक वातावरण को समृद्ध करते हैं। शोध और शिक्षण के नए आयाम खुलते हैं। विद्यार्थियों को विशेषज्ञों के विचार सुनने का अवसर मिलता है।
राजकीय महाविद्यालय हमीरपुर नियमित रूप से ऐसे कार्यक्रम आयोजित करता है। इससे महाविद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों को गति मिलती है। प्रतिभागियों को नए विचारों और शोध की जानकारी मिलती है। अंतरराष्ट्रीय सहभागिता से ग्लोबल परिप्रेक्ष्य विकसित होता है।
संगोष्ठी के आयोजक डॉ संदीप कुमार ने सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने अतिथियों और विशेषज्ञ वक्ताओं का धन्यवाद दिया। प्रतिभागियों और सहयोगी टीम की सराहना की। इस आयोजन की सफलता से महाविद्यालय को प्रोत्साहन मिलेगा।
ऐसे कार्यक्रम शिक्षण संस्थानों की गतिविधियों का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनसे शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार होता है। शोध को बढ़ावा मिलता है और नए विचारों का आदान-प्रदान होता है। हिमाचल प्रदेश के महाविद्यालय लगातार ऐसे प्रयास कर रहे हैं।
