Himachal News: हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और भूस्खलन से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ता काम कर रहे हैं। शिमला के चिड़गांव और मंडी के धर्मपुर में एडवांस अलार्मिंग सेंसर सिस्टम लगाया जाएगा। आठ देशों के शोधकर्ता शामिल हैं। सरसकान पंचायत में जमीन का मुआयना हुआ। यह पायलट प्रोजेक्ट आपदा से 30-40 मिनट पहले चेतावनी देगा। हिमाचल सरकार ने ICIMOD के साथ सहमति दी।
पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत
अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं का दल मंडी के धर्मपुर पहुंचा। सरसकान पंचायत में सेंसर सिस्टम के लिए जमीन देखी गई। चिड़गांव में भी मुआयना हुआ। यह पायलट प्रोजेक्ट है। सेंसर सिस्टम आपदा से पहले चेतावनी देगा। आठ देशों के शोधकर्ता इसमें शामिल हैं। नेपाल, भूटान और भारत के विशेषज्ञ भी हैं। प्रोजेक्ट का पहला चरण चिड़गांव या धर्मपुर में शुरू होगा।
आपदा प्रभावित क्षेत्र
चिड़गांव और धर्मपुर को आपदा संभावित क्षेत्रों के रूप में चुना गया। 1997 में चिड़गांव में बादल फटने से 115 लोग मरे। 2015 में धर्मपुर के सोन खड्ड में बाढ़ से चार मौतें हुईं। बारिश और भूस्खलन ने इन क्षेत्रों को प्रभावित किया। सेंसर सिस्टम इन जगहों पर लगाया जाएगा। यह आपदा की चेतावनी देगा। शोधकर्ता स्थानीय परिस्थितियों का अध्ययन कर रहे हैं।
सेंसर सिस्टम की विशेषता
एडवांस अलार्मिंग सेंसर सिस्टम 30-40 मिनट पहले आपदा की चेतावनी देगा। यह बाढ़ और भूस्खलन का पता लगाएगा। सिस्टम को टेस्ट करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू हुआ। शोधकर्ता इसे पहले चिड़गांव या धर्मपुर में लगाएंगे। सेंसर स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार काम करेगा। यह तकनीक हिमाचल में आपदा प्रबंधन को बेहतर करेगी। शोधकर्ता तकनीकी जांच कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग
हिमाचल सरकार ने ICIMOD के साथ प्रोजेक्ट शुरू किया। आठ देशों के शोधकर्ता दल में शामिल हैं। नेपाल और भूटान के विशेषज्ञ भी हैं। भारत के दो शोधकर्ता कार्यरत हैं। दल ने धर्मपुर और चिड़गांव में सर्वे किया। सोमवार को धर्मपुर के अन्य क्षेत्रों का दौरा होगा। यह प्रोजेक्ट आपदा प्रबंधन में सहायक होगा। अंतरराष्ट्रीय सहयोग से तकनीकी मदद मिलेगी।
आपदा प्रबंधन की जरूरत
हिमाचल में बाढ़ और भूस्खलन से नुकसान बढ़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय चिंतित है। सेंसर सिस्टम से नुकसान कम होगा। चिड़गांव और धर्मपुर में पहले आपदाएं आ चुकी हैं। यह प्रोजेक्ट आपदा से पहले चेतावनी देगा। स्थानीय लोग सुरक्षित रहेंगे। शोधकर्ता और सरकार मिलकर काम कर रहे हैं। यह तकनीक हिमालय क्षेत्र में आपदा प्रबंधन को मजबूत करेगी।
