Business News: आईटी कंपनी इंफोसिस ने अपने सबसे बड़े शेयर बायबैक प्रोग्राम की घोषणा की है। यह बायबैक 18,000 करोड़ रुपये का है जो 20 नवंबर से शुरू होगा। बायबैक की सब्सक्रिप्शन अवधि 26 नवंबर तक चलेगी। कंपनी ने रेगुलेटरी फाइलिंग में इसकी जानकारी दी।
इंफोसिस 10 करोड़ इक्विटी शेयर्स को 1,800 रुपये प्रति शेयर के भाव से खरीदेगी। यह कुल पेड-अप इक्विटी शेयर कैपिटल का 2.41 प्रतिशत हिस्सा है। कंपनी ने कहा कि यह बायबैक मीडियम टर्म कैश जरूरतों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है।
बायबैक की श्रेणियां और अनुपात
बायबैक दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है। रिजर्व्ड कैटेगरी में छोटे शेयरधारकों के लिए 15 प्रतिशत आरक्षण है। छोटा शेयरधारक वह है जिसके पास रिकॉर्ड डेट तक 2,00,000 रुपये से कम मार्केट वैल्यू के शेयर हैं। इंफोसिस के 25,85,684 छोटे शेयरधारक हैं।
रिजर्व्ड कैटेगरी के लिए बायबैक अनुपात 2:11 निर्धारित किया गया है। इसका मतलब है कि हर 11 शेयर पर 2 शेयर्स का बायबैक होगा। जनरल कैटेगरी के लिए यह अनुपात 17:706 है। रिकॉर्ड डेट 14 नवंबर 2025 तय किया गया है।
पूर्व के बायबैक प्रोग्राम
इंफोसिस ने पहला शेयर बायबैक प्रोग्राम 2017 में शुरू किया था। उस समय कंपनी ने 11.3 करोड़ शेयर्स 1,150 रुपये प्रति शेयर पर खरीदे थे। यह लगभग 13,000 करोड़ रुपये का सौदा था। 2019 में कंपनी ने 8,260 करोड़ रुपये का दूसरा बायबैक किया।
2022-23 में इंफोसिस ने 9,300 करोड़ रुपये का बायबैक पूरा किया। यह बायबैक ओपन मार्केट रूट के जरिए किया गया था। अधिकतम मूल्य 1,850 रुपये प्रति इक्विटी शेयर निर्धारित किया गया था। वर्तमान बायबैक कंपनी का अब तक का सबसे बड़ा प्रोग्राम है।
प्रमोटर्स की भूमिका और लाभांश नीति
इंफोसिस के प्रमोटर्स और प्रमोटर ग्रुप ने इस बायबैक में भाग न लेने का फैसला किया है। नंदन एम निलेकणी और सुधा मूर्ति समेत प्रमोटर्स के पास कंपनी की 13.05 प्रतिशत हिस्सेदारी है। बायबैक की घोषणा तक यह हिस्सेदारी बनी हुई थी।
कंपनी की कैपिटल अलोकेशन पॉलिसी के अनुसार वित्त वर्ष 2025 से कंपनी फ्री कैश फ्लो का 85 प्रतिशत हिस्सा शेयरधारकों को लौटाएगी। यह रिटर्न सेमी-एनुअल डिविडेंड और शेयर बायबैक के जरिए दिया जाएगा। कंपनी वार्षिक लाभांश में नियमित वृद्धि करने का इरादा रखती है।
शेयरधारकों के लिए प्रक्रिया
पात्र शेयरधारक 20 से 26 नवंबर के बीच अपने शेयर्स टेंडर कर सकते हैं। एंटाइटेलमेंट रिकॉर्ड डेट पर शेयरधारकों के पास मौजूद शेयरों के आधार पर तय होगा। बायबैक से इक्विटी बेस कम होने की उम्मीद है। इससे लॉन्ग टर्म में शेयरधारक मूल्य बढ़ सकता है।
कंपनी ने कहा कि यह बायबैक सरप्लस फंड्स को शेयरधारकों तक प्रभावी ढंग से पहुंचाने का माध्यम है। यह कैपिटल अलोकेशन पॉलिसी के अनुरूप है। बायबैक से कंपनी की वित्तीय स्थिति पर कोई हानिकर प्रभाव नहीं पड़ेगा। कंपनी की स्ट्रैटजिक और ऑपरेशनल जरूरतें पूरी होती रहेंगी।
