Himachal News: खनियारा स्थित प्राचीन श्री इंद्रूनाग मंदिर में मंगलवार को विशेष पूजा का आयोजन किया गया। डायनों के साथ युद्ध करके लौटे इंद्रूनाग देवता के मंदिर पहुंचने पर खेलपात्र का आयोजन हुआ। गुर के माध्यम से देवता ने क्षेत्र में अच्छी बारिश, फसल उत्पादन और सुख-शांति का संकेत दिया। देवता ने बताया कि युद्ध में उन्हें और उनके भाइयों को चोटें आई हैं।
युद्ध में लगी चोटों का उपचार होगा
गुर ने खेलपात्र के दौरान बताया कि इंद्रूनाग देवता को तीन घाव लगे हैं। उनके भाइयों तोरल नाग और मतड़ानाग को भी तीन-तीन घाव मिले हैं। बुडू नाग को दो घाव लगे हैं। साथ ही करीब छह भालों की मार भी लगी है। अब पांच दिनों तक मक्खन और चंदन के लेप से देवता का उपचार किया जाएगा। इसके बाद वे राधाष्टमी पर मणिमहेश स्नान के लिए प्रस्थान करेंगे।
मणिमहेश और नागडल में करेंगे स्नान
देवता राधाष्टमी के पवित्र पर्व पर शिव शंकर के कैलाश में मणिमहेश जाएंगे। वहां स्नान करने के बाद धौलाधार पर्वत शृंखला में स्थित नागडल में भी स्नान करेंगे। इसके बाद थातरी के रास्ते सामरलाहड़ स्थित उखाड़ा मंदिर से चार सितंबर को खनियारा लौटेंगे। उस दिन भव्य खेलपात्र और पूजा-पाठ का आयोजन किया जाएगा।
तीन वर्ष बाद विशेष पूजा की तैयारी
गुर ने तीन वर्ष बाद होने वाली इंद्रूनाग देवता की विशेष पूजा-पाठ की तैयारी शुरू करने के संकेत दिए हैं। देवता ने पूजा-पाठ जारी रखने का भी आदेश दिया है। अगले आदेश की जानकारी गुरुवार को होने वाले खेलपात्र में दी जाएगी। मंदिर के पुजारी विपिन नाग ने पूजा-पाठ और छड़ी यात्रा की पुष्टि की।
क्षेत्र में सुख-शांति का रहने वाला है वातावरण
देवता के गुर ने बताया कि डायनों से युद्ध जीतने का सीधा असर क्षेत्र पर पड़ेगा। आने वाले दिनों में आमजन को बारिश से राहत मिलेगी। अच्छी फसलों की पैदावार होगी। क्षेत्र में सुख-शांति और खुशहाली का वातावरण रहेगा। प्राचीन वाद्य यंत्रों की धुन और जयकारों के बीच पूजा-अर्चना संपन्न हुई।
