New Delhi News: देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो (IndiGo) बड़ी मुश्किल में फंसती दिख रही है। दिल्ली के जीएसटी विभाग ने कंपनी को 458 करोड़ रुपये चुकाने का कड़ा आदेश दिया है। यह भारी-भरकम डिमांड नोटिस टैक्स, ब्याज और पेनल्टी से जुड़ा है। हालांकि, कंपनी ने इस ऑर्डर को पूरी तरह गलत बताया है। इंडिगो का कहना है कि वह इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेगी।
इंडिगो पर क्यों लगा इतना भारी जुर्माना?
यह पूरा मामला केंद्रीय जीएसटी एक्ट की धारा 74 के तहत दर्ज किया गया है। दिल्ली दक्षिण सीजीएसटी कमिश्नरेट ने वित्त वर्ष 2018-19 से लेकर 2022-23 तक के खातों की जांच की थी। विभाग का आरोप है कि इंडिगो ने विदेशी सप्लायर से मिले मुआवजे पर सही टैक्स नहीं दिया।
अधिकारियों ने इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) को भी नामंजूर कर दिया है। इसी के चलते कंपनी पर 458.26 करोड़ रुपये का डिमांड ऑर्डर जारी किया गया है। एविएशन इंडस्ट्री में क्रॉस-बॉर्डर ट्रांजेक्शन पर जीएसटी की जांच लगातार सख्त होती जा रही है।
कंपनी ने क्या दी सफाई?
इंटरग्लोब एविएशन ने रेगुलेटरी फाइलिंग में अपना पक्ष रखा है। इंडिगो का मानना है कि विभाग का यह ऑर्डर ‘त्रुटिपूर्ण’ है और कानून के हिसाब से सही नहीं है। कंपनी ने बाहरी टैक्स सलाहकारों से भी राय ली है। विशेषज्ञों ने भी कंपनी के पक्ष को मजबूत बताया है।
कंपनी के अधिकारियों ने साफ किया कि वे इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2017-18 के एक ऐसे ही मामले में इंडिगो की अपील पहले से ही चल रही है। कंपनी को भरोसा है कि उसे जीत मिलेगी।
क्या यात्रियों और फ्लाइट्स पर होगा असर?
इस खबर के बाद यात्रियों के मन में सवाल है कि क्या फ्लाइट्स या किराए पर असर पड़ेगा? इंडिगो ने स्पष्ट किया है कि इस ऑर्डर का उसके ऑपरेशन पर कोई असर नहीं होगा। कंपनी की वित्तीय स्थिति मजबूत है और उड़ानें सामान्य रूप से चलती रहेंगी।
इसके अलावा, लखनऊ सीजीएसटी ने भी कंपनी पर एक अलग कार्रवाई की है। वहां वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 14.59 लाख रुपये की पेनल्टी लगाई गई है। कंपनी इस छोटे जुर्माने को भी चुनौती देने की तैयारी कर रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, एविएशन सेक्टर में इंटरनेशनल पेमेंट्स पर ऐसे टैक्स विवाद आम बात हैं।
