New Delhi News: इंडिगो एयरलाइंस का संकट लगातार गहराता जा रहा है। आज 7वें दिन भी यात्रियों को राहत नहीं मिली है। अलग-अलग एयरपोर्ट्स पर अफरा-तफरी का माहौल है। इस बीच कंपनी के पायलटों ने बेहद गंभीर और चौंकाने वाले आरोप लगाए हैं। पायलटों का दावा है कि इंडिगो एयरलाइंस जानबूझकर फ्लाइट्स रद्द कर रही है। उनका कहना है कि यह संकट मैनेजमेंट द्वारा पैदा किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य सरकार पर दबाव बनाना है ताकि नए सुरक्षा नियमों को रोका जा सके।
सरकार पर दबाव बनाने की साजिश?
पायलटों ने फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) के नियमों को इस संकट की जड़ बताया है। इंडिगो एयरलाइंस के पायलटों के मुताबिक, मैनेजमेंट इन नियमों को लागू नहीं करना चाहता। उन्होंने सवाल उठाया कि महज 65 कैप्टन और 59 फर्स्ट ऑफिसर की कमी से हजारों उड़ानें कैसे प्रभावित हो सकती हैं? पायलटों का आरोप है कि कंपनी सरकार को पुराने नियमों पर लौटने के लिए मजबूर कर रही है। यह पूरा संकट एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा लग रहा है।
सिर्फ 5-7 फीसदी उड़ानों पर पड़ना था असर
एक पायलट ने आंकड़ों के जरिए मैनेजमेंट के दावों की पोल खोली। इंडिगो एयरलाइंस रोजाना करीब 2,200 उड़ानें संचालित करती है। अगर पायलटों की थोड़ी कमी थी भी, तो इसका असर केवल 5-7 प्रतिशत उड़ानों पर होना चाहिए था। लेकिन पूरे वीकेंड पर हवाई सेवा ठप रही। एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष साग्निक बनर्जी ने कहा कि सुरक्षा खतरे में है। कंपनी सुरक्षा से पहले मुनाफे को प्राथमिकता दे रही है।
रोस्टर में जानबूझकर की गई गड़बड़ी
साग्निक बनर्जी ने बताया कि नए नियमों के हिसाब से इंडिगो एयरलाइंस को सिर्फ 124 और पायलटों की जरूरत थी। लेकिन स्टाफ मैनेजमेंट में जानबूझकर बदलाव किए गए। क्रू को उड़ान से 8-10 घंटे पहले बुलाया जाने लगा। इसके अलावा, विमानों को पार्किंग में 60 किलोमीटर दूर खड़ा किया गया। इससे क्रू का रिपोर्टिंग टाइम खराब हुआ और देरी बढ़ी। पायलट अब एक पारदर्शी सिस्टम की मांग कर रहे हैं। डीजीसीए ने भी सख्त रुख अपनाते हुए कार्रवाई की चेतावनी दी है।
