New Delhi News: नागरिक उड्डयन मंत्रालय की सख्ती के बावजूद इंडिगो और अन्य एयरलाइंस की मनमानी जारी है। सरकार ने हवाई किराए पर लगाम लगाने के लिए अधिकतम सीमा (Cap) तय की थी। इसके बाद भी यात्रियों को राहत नहीं मिली है। एयरलाइंस अब कनेक्टिंग उड़ानों के बहाने यात्रियों की जेब काट रही हैं। छोटे शहरों के लिए इंडिगो और एअर इंडिया का किराया आसमान छू रहा है। नियमों में मौजूद खामियों का फायदा उठाकर कंपनियां मोटा मुनाफा कमा रही हैं।
नियमों में निकाली खामी
सरकार ने दूरी के हिसाब से किराए की सीमा तय की थी। मंत्रालय ने 500 किलोमीटर तक के लिए 7500 रुपये और 1500 किलोमीटर से ज्यादा के लिए 18000 रुपये अधिकतम किराया निर्धारित किया था। लेकिन एयरलाइनों ने इसमें एक रास्ता खोज लिया है। उनका तर्क है कि यह नियम सिर्फ सीधी उड़ानों (Direct Flights) पर लागू होता है। कनेक्टिंग उड़ानों पर यह सीमा लागू नहीं होती। इसी कारण इंडिगो संकट के बीच यात्रियों को कई गुना ज्यादा किराया देना पड़ रहा है।
चंडीगढ़ और जयपुर का किराया हैरान करने वाला
चंडीगढ़, लेह, अगरतला और पुणे जैसे शहरों का हाल सबसे बुरा है। चंडीगढ़ से जयपुर की दूरी केवल 484 किलोमीटर है। नियमों के मुताबिक इसका किराया 7500 रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए। लेकिन 10 दिसंबर के लिए एअर इंडिया का टिकट 28,007 रुपये तक पहुंच गया है। यही हाल चंडीगढ़ से अमृतसर रूट का है। यहां 226 किलोमीटर के लिए 12,000 रुपये तक वसूले जा रहे हैं। लखनऊ से दिल्ली और अहमदाबाद जाने वाले यात्रियों को भी इंडिगो की उड़ानों के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।
एप और वेबसाइट के दाम में अंतर
एयरलाइन की वेबसाइट और थर्ड-पार्टी एप पर किराए में बड़ा अंतर दिख रहा है। ऑनलाइन ट्रैवल एजेंट (OTA) 30 से 50 प्रतिशत तक ज्यादा दाम दिखा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, यह एयरलाइनों और एजेंटों की मिलीभगत हो सकती है। एअर इंडिया के अधिकारियों ने इसका कारण कनेक्टिंग फ्लाइट्स और मोबाइल एप कंपनियों की मनमानी बताया है। उनका कहना है कि कनेक्टिंग फ्लाइट में दो या तीन उड़ानों का पैसा जुड़ जाता है।
मंत्रालय कर रहा है निगरानी
इंडिगो की सेवाओं में गड़बड़ी के बाद नागरिक उड्डयन मंत्रालय सक्रिय हो गया है। मंत्रालय अब देश भर के हवाई अड्डों की 24 घंटे समीक्षा कर रहा है। उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू ने अधिकारियों को तैनात किया है। वे फंसे हुए यात्रियों की मदद कर रहे हैं। डीजीसीए भी 3 दिसंबर से लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है और जमीनी हालात का आकलन कर रहा है।
