Himachal News: समुद्र तल से सोलह हजार फीट की ऊंचाई पर देश की सबसे ऊंची डबल लेन सुरंग बन रही है। माइनस पच्चीस डिग्री सेल्सियस के तापमान के बीच शिंकुला टनल का निर्माण जारी है। यह सुरंग भारत के लिए सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।
कड़ाके की ठंड और विषम परिस्थितियों के बावजूद इंजीनियर और मजदूर दिनरात काम कर रहे हैं। उनकी मेहनत से यह असंभव सा लगने वाला कार्य संभव हो रहा है। यह सुरंग आने वाले समय में परिवहन के लिए एक नया रास्ता खोलेगी।
चुनौतियों से भरा है निर्माण कार्य
इंजीनियर विनोद ने बताया कि अत्यधिक ठंड बड़ी समस्या है। मशीनों को शुरू करने में घंटों लग जाते हैं। लोहे के औजार हाथों से चिपकने लगते हैं। इन हालात में काम करना बेहद मुश्किल है।
ऊंचाई के कारण ऑक्सीजन का स्तर भी कम है। इससे कामगारों को सिरदर्द और चक्कर आने की समस्या होती है। इन सब चुनौतियों के बीच काम की गुणवत्ता बनाए रखना एक बड़ा काम है।
सुरंग का महत्व और विवरण
चार दशमलव एक किलोमीटर लंबी यह सुरंग मनाली-कारगिल मार्ग पर बन रही है। यह जांस्कर पर्वत श्रृंखला को भेदेगी। इसकी कुल लागत लगभग सोलह सौ करोड़ रुपये है।
सुरंग के अंदर दो पुलों का भी निर्माण किया जा रहा है। इस समय सौ बीस इंजीनियर और कामगार निर्माण स्थल पर तैनात हैं। वे सभी कठिन परिस्थितियों में देश की सेवा कर रहे हैं।
सीमा सड़क संगठन की भूमिका
सीमा सड़क संगठन इस पूरी परियोजना की देखरेख कर रहा है। संगठन के अधिकारी निर्माण कार्य की निगरानी करते हैं। वे यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कार्य निर्धारित समय में पूरा हो।
धारीवाल कंस्ट्रक्शन कंपनी को यह ठेका मिला है। कंपनी के इंजीनियर और कर्मचारी पूरी लगन से काम कर रहे हैं। वे हर दिन नई चुनौतियों का सामना करते हैं।
निर्माण की वर्तमान स्थिति
अब तक दोनों सुरंगों में कुल तीन सौ सत्तर मीटर की खुदाई हो चुकी है। ठंड के मौसम को देखते हुए रात की शिफ्ट रोक दी गई है। अब काम केवल दिन के समय ही होता है।
इससे काम की गति पर असर पड़ा है। लेकिन कर्मियों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। गर्मियों में काम की गति फिर से बढ़ाई जाएगी।
दुर्गम क्षेत्र में संपर्क मार्ग
यह सुरंग बर्फबारी प्रभावित दुर्गम क्षेत्र में बन रही है। इसके पूरा होने से पूरे क्षेत्र की कनेक्टिविटी बदल जाएगी। सालभर यातायात की सुविधा उपलब्ध होगी।
पहले बर्फबारी के कारण यह रास्ता महीनों बंद रहता था। अब सुरंग के कारण यह समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी। इससे स्थानीय लोगों को बहुत फायदा मिलेगा।
भविष्य की योजनाएं
सीमा सड़क संगठन इस क्षेत्र में कई अन्य परियोजनाओं पर भी काम कर रहा है। इनमें नई सड़कें और पुल शामिल हैं। इन सबका लक्ष्य क्षेत्र के विकास को गति देना है।
शिंकुला टनल इन सभी परियोजनाओं में सबसे महत्वाकांक्षी है। इसका निर्माण भारत की इंजीनियरिंग क्षमता का एक उदाहरण है। यह देश के विकास की नई कहानी लिख रही है।
