शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार: सरकार के खजाने में आई ‘छप्पर फाड़’ दौलत, 703 अरब डॉलर के ऐतिहासिक स्तर के करीब पहुंचा

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India News: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार दूसरे सप्ताह बढ़ा है। बारह सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में यह चार दशमलव सात अरब डॉलर बढ़कर सात सौ दो दशमलव सत्तानवे अरब डॉलर पर पहुंच गया। भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को यह आंकड़ा जारी किया। पिछले सप्ताह भंडार में चार अरब डॉलर से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई थी।

विदेशी मुद्रा आस्तियां मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा हिस्सा हैं। पांच सितंबर को समाप्त सप्ताह में यह दो दशमलव चौवन अरब डॉलर बढ़कर पांच सौ सत्तासी दशमलव शून्य एक अरब डॉलर हो गईं। इन आस्तियों में गैर-अमेरिकी मुद्राओं के मूल्य परिवर्तन का असर भी शामिल होता है।

स्वर्ण भंडार में भी इस अवधि में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, सोने का भंडार दो दशमलव बारह अरब डॉलर बढ़कर बानवे दशमलव बयालीस अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह वृद्धि वैश्विक बाजार में सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव से प्रभावित होती है।

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विशेष आहरण अधिकार यानी एसडीआर का मूल्य भी मामूली रूप से बढ़ा है। यह तीन दशमलव दो करोड़ डॉलर की बढ़ोतरी के साथ अठारह दशमलव सतहत्तर अरब डॉलर हो गया। एसडीआर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा जारी किया गया एक अंतरराष्ट्रीय रिजर्व एसेट है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में देश की जमा राशि में भी वृद्धि दर्ज की गई। यह नब्बे लाख डॉलर बढ़कर चार दशमलव छिहत्तर अरब डॉलर पर पहुंच गई। यह भंडार देश की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिति का एक महत्वपूर्ण संकेतक माना जाता है।

मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करता है। यह बाहरी झटकों को सहन करने, मुद्रा में अस्थिरता को कम करने और आयात बिलों का भुगतान सुनिश्चित करने में मददगार साबित होता है। यह निवेशकों के विश्वास को भी बढ़ाता है।

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विदेशी मुद्रा भंडार में यह लगातार वृद्धि देश के लिए एक सकारात्मक संकेत है। यह आर्थिक स्थिरता और विकास की ओर इशारा करता है। बढ़ता भंडार रुपए की विनिमय दर को स्थिर रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

भारतीय रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन करता है। इसका उद्देश्य मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता बनाए रखना है। बैंक बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए समय-समय पर हस्तक्षेप भी करता है।

विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि के कई कारण हो सकते हैं। इनमें विदेशी निवेश में वृद्धि, निर्यात से होने वाली आय और एनआरआई प्रेषण शामिल हैं। मौजूदा वृद्धि देश की आर्थिक मजबूती को दर्शाती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह रुझान जारी रह सकता है। मजबूत आर्थिक संकेतक और बढ़ता निवेश भंडार को और बढ़ा सकते हैं। यह देश को वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं का सामना करने में मदद करेगा।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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