Shivpuri News: मध्य प्रदेश के श्योपुर और कटनी जिले में एक और दो रुपए के सिक्के का चलन लगभग बंद हो गया है। दुकानदार इन सिक्कों को लेने से साफ इनकार कर रहे हैं। इस स्थिति के कारण स्थानीय लोगों को छोटी-छोटी खरीदारी में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। टॉफी, माचिस जैसी छोटी वस्तुओं के लिए भी पांच या दस रुपए देना अनिवार्य हो गया है।
स्थानीय बाजारों में अब एक और दो रुपए के सिक्के दिखाई देना भी बंद हो गए हैं। दुकानदार किसी भी कीमत पर ये सिक्के स्वीकार नहीं कर रहे हैं। इसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है। लोगों को रोजमर्रा की छोटी खरीदारी पर अतिरिक्त राशि खर्च करनी पड़ रही है।
आम लोगों पर आर्थिक प्रभाव
इस समस्या का सबसे ज्यादा असर गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों पर देखने को मिल रहा है। समोसा जैसे स्नैक्स खरीदने जैसी सामान्य गतिविधियों के लिए भी अब पांच रुपए का सिक्का या नोट चाहिए। दुकानदार एक या दो रुपए के सिक्के वापस नहीं दे रहे हैं। इससे लोगों की दैनिक जरूरतों की लागत बढ़ गई है।
राज्य के अन्य जिलों में एक और दो रुपए के सिक्के सामान्य रूप से चलन में हैं। राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में भी इन सिक्कों का प्रयोग बिना किसी रुकावट के हो रहा है। केवल श्योपुर और कटनी जिले ही इस समस्या से ग्रसित हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक के नियम
भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार चलन में मौजूद किसी भी मुद्रा को लेने से इनकार करना दंडात्मक कार्रवाई का कारण बन सकता है। भारतीय मुद्रा अधिनियम और आईपीसी के तहत दुकानदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इसके तहत एफआईआर दर्ज की जा सकती है और जुर्माना या जेल की सजा भी हो सकती है।
श्योपुर के एसडीएम गगन मीणा ने इस मामले में हस्तक्षेप का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि अगर सिक्कों के चलन में कोई समस्या है तो उसे तुरंत दूर किया जाएगा। प्रशासन की ओर से चलन बहाल करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
स्थानीय व्यापारियों की प्रतिक्रिया
स्थानीय व्यापारी इस स्थिति के लिए अलग-अलग कारण बता रहे हैं। कुछ का कहना है कि उन्हें इन सिक्कों की आपूर्ति ही बैंकों से पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रही है। कुछ व्यापारियों का मानना है कि इन सिक्कों का संग्रहण और भंडारण मुश्किल होता है। इसलिए वे इन्हें लेना पसंद नहीं कर रहे हैं।
बाजार में इन सिक्कों की कमी ने एक अप्रत्यक्ष ब्लैक मार्केट भी पैदा कर दिया है। कुछ लोग बड़ी मात्रा में इन सिक्कों को इकट्ठा करके उन्हें प्रीमियम पर बेचने का काम कर रहे हैं। इससे सामान्य लोगों की परेशानी और बढ़ गई है।
भारतीय मुद्रा प्रणाली में छोटे सिक्कों का महत्व
किसी भी अर्थव्यवस्था में छोटे मूल्य के सिक्कों का विशेष महत्व होता है। ये छोटे लेनदेन और खरीदारी को सुगम बनाते हैं। इनके अभाव में आर्थिक गतिविधियों में बाधा उत्पन्न होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि छोटे सिक्कों का चलन बनाए रखना आवश्यक है।
भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट के अनुसार सभी भारतीय मुद्राएं कानूनी निविदा हैं। किसी भी दुकानदार या व्यक्ति द्वारा चलनशील मुद्रा को स्वीकार न करना कानून का उल्लंघन माना जाता है। इस संबंध में आरबीआई ने कई परिपत्र जारी किए हैं।
स्थानीय प्रशासन ने इस मामले में जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया है। दुकानदारों और आम जनता को कानूनी प्रावधानों से अवगत कराया जाएगा। बैंकों से भी सिक्कों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है।
