National News: भारतीय रेलवे से जुड़ा एक रहस्यमय मामला सामने आया है। साल 1976 में गायब हुई एक मालगाड़ी 43 साल बाद NASA के उपग्रहों में दिखाई दी। यह ट्रेन असम के तिनसुकिया जिले के घने जंगलों में मिली। इस रहस्य ने भारत से लेकर अमेरिका तक की सुरक्षा एजेंसियों को चौंका दिया।
NASA की उपग्रह तस्वीरों ने इस गायब ट्रेन का पता लगाया। अमेरिकी एजेंसियों को शक हुआ कि भारत ने जंगल में कोई मिसाइल छिपाई है। इसके बाद रूस और चीन की खुफिया एजेंसियां भी सक्रिय हो गईं। भारतीय एजेंसियों ने जांच में पाया कि यह कोई मिसाइल नहीं बल्कि साल 1976 में खोई हुई मालगाड़ी है।
कैसे गायब हुई थी ट्रेन?
16 जून 1976 की सुबह यह मालगाड़ी अहमदनगर से तिनसुकिया के लिए रवाना हुई थी। रास्ते में भारी बारिश के कारण लोको पायलट ने ट्रेन को जंगल में रोक दिया। वह सिर्फ इंजन लेकर स्टेशन पहुंचा ताकि मौसम सुधरने पर रैक को वापस ले जा सके। लेकिन बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी।
इसी दौरान बाढ़ आ गई और रेलवे ट्रैक बह गया। रेलवे कर्मचारी ट्रैक ठीक करने और बाढ़ राहत कार्यों में व्यस्त हो गए। इसी भागदौड़ में पूरी की पूरी मालगाड़ी रेलवे के रिकॉर्ड से गायब हो गई। दशकों तक किसी को याद नहीं रहा कि एक रैक जंगल में छूट गया है।
NASA ने कैसे खोजा राज?
दिसंबर 2019 में NASA एशिया-अफ्रीका क्षेत्र के जंगलों की निगरानी कर रहा था। उपग्रह कैमरों ने तिनसुकिया के जंगल में एक संदिग्ध आकृति देखी। अमेरिकी विशेषज्ञों को लगा कि यह कोई सैन्य सुविधा हो सकती है। उन्होंने तुरंत इसकी जानकारी अन्य एजेंसियों के साथ साझा की।
इसके बाद भारतीय खुफिया एजेंसियां मौके पर पहुंचीं। उन्हें घने झाड़ियों के बीच जंग खाया हुआ रैक मिला। यह इलाका इंसानों की पहुंच से दूर हो चुका था। सांप और जंगली जानवरों का यह क्षेत्र बन गया था। न तो रेलवे ट्रैक बचा था और न ही कोई रास्ता।
रेलवे का क्या कहना है?
साल 2020 में रेलवे ने आधिकारिक तौर पर कहा कि उनके पास ऐसी किसी लापता ट्रेन की पुष्टि नहीं है। हालांकि कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया कि एजेंसियों ने जंगल में पुराना रैक मिलने की बात स्वीकार की। रेलवे ने इस कहानी को अविश्वसनीय बताया।
मामले से जुड़े ड्राइवर की कहानी और भी रहस्यमय है। वह इस घटना के कुछ महीनों बाद ऑस्ट्रेलिया चला गया था। उसने कभी भी इस ट्रेन के बारे में कोई बयान नहीं दिया। रेलवे रिकॉर्ड में भी इस ट्रेन का कोई जिक्र नहीं मिलता।
क्या है सच्चाई?
यह मामला आज भी रहस्य बना हुआ है। NASA की तस्वीरों के बावजूद रेलवे इस ट्रेन के अस्तित्व से इनकार करता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जंगल में वाकई एक पुराना रेल रैक मौजूद है। लेकिन कोई भी वहां तक पहुंचने का रास्ता नहीं जानता।
यह कहानी भारतीय रेलवे के इतिहास के एक रहस्यमय अध्याय के रूप में सामने आई है। न तो इस ट्रेन का रिकॉर्ड मिलता है और न ही इसके गायब होने का कोई कारण। साल 2020 के बाद से यह मामला फिर से गायब हो गया है।
