Defence News: भारतीय नौसेना ने रूस के संयुक्त फाइटर जेट प्रस्ताव पर कोई विशेष दिलचस्पी नहीं दिखाई है। रूस ने भारत के साथ मिलकर Su-57 जेट का एक नया, एयरक्राफ्ट कैरियर संस्करण विकसित करने का प्रस्ताव रखा था। इसके बजाय, नौसेना का फोकस स्वदेशी ट्विन इंजन डेक बेस्ड फाइटर (TEDBF) परियोजना पर बना हुआ है।
रूस द्वारा प्रस्तावित नया जेट Su-57 का एक संशोधित संस्करण होता। इसमें जहाज से उड़ान भरने के लिए फोल्डिंग विंग्स और मजबूत लैंडिंग गियर जैसे बदलाव शामिल होते। हालांकि, भारतीय नौसेना को लगता है कि यह प्रक्रिया बहुत महंगी और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण होगी।
TEDBF प्रोजेक्ट की स्थिति और चुनौतियां
भारतीय नौसेना का लक्ष्य TEDBF की पहली उड़ान 2026 में और इसे सेवा में शामिल करने का लक्ष्य 2032-35 तक का है। यह जेट वर्तमान में चल रहे मिग-29K बेड़े की जगह लेगा। यह परियोजना ‘मेक इन इंडिया’ पहल को मजबूत करने में एक बड़ा कदम है।
हालांकि, इस परियोजना के सामने कई बाधाएं हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, बड़े डिजाइन परिवर्तन और लगभग 14,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत ने चुनौतियां पैदा की हैं। रक्षा मंत्रालय से पर्याप्त समर्थन न मिलना भी एक मुद्दा है।
मिग-29K का भविष्य और परिचालन जोखिम
इन देरी के कारण, नौसेना को 2040 के दशक तक पुराने मिग-29K जेट संचालित करने पड़ सकते हैं। यह स्थिति पायलटों की सुरक्षा और परिचालन तत्परता के लिए जोखिम पैदा कर सकती है। नौसेना को एक विश्वसनीय और आधुनिक डेक-आधारित लड़ाकू विमान की तत्काल आवश्यकता है।
रूस के प्रस्ताव को ठुकराने का निर्णय भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक स्पष्ट संकेत है। भारत अब अंतरराष्ट्रीय सहयोग के बजाय स्वदेशी विकास पर अधिक निर्भर है। TEDBF का सफल होना भारतीय नौसेना की भविष्य की क्षमताओं के लिए महत्वपूर्ण है।
