शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

Indian Economy: ग्रामीण भारत ने रची तारीख, जीडीपी में 8.2% की छलांग और अनाज का बंपर उत्पादन

Share

New Delhi News: भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) अब गांवों के दम पर दौड़ रही है. ताजा रिपोर्टों के मुताबिक, ग्रामीण भारत ने देश की आर्थिक रफ्तार में जान फूंक दी है. भारत ने 2024-25 में 35.77 करोड़ टन अनाज पैदा कर नया इतिहास रच दिया है. वैश्विक सुस्ती के बीच भारत की जीडीपी विकास दर दूसरी तिमाही में 8.2 फीसदी दर्ज की गई है. यह आंकड़ा दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक मिसाल बन गया है.

नाबार्ड के सर्वे में कमाई और खर्च का रिकॉर्ड

नाबार्ड ने हाल ही में ग्रामीण आर्थिक स्थिति पर अपना आठवां सर्वे जारी किया है. यह सर्वे भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के लिए शुभ संकेत लेकर आया है. इसके मुताबिक, पिछले एक साल में 80 फीसदी ग्रामीण परिवारों ने अपनी खपत बढ़ाई है. ग्रामीण परिवार अब अपनी मासिक आय का 67.3 फीसदी हिस्सा खर्च कर रहे हैं. सर्वे के इतिहास में खपत का यह सबसे ऊंचा स्तर है. लोगों की निवेश करने की क्षमता में भी भारी इजाफा हुआ है.

यह भी पढ़ें:  23 अक्टूबर की बड़ी खबरें: पीएम मोदी आज बिहार चुनाव प्रचार शुरू करेंगे, अमेरिका ने रूसी तेल कंपनियों पर लगाए प्रतिबंध

गरीबी में आई ऐतिहासिक गिरावट

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की रिसर्च रिपोर्ट ने भी राहत भरी खबर दी है. रिपोर्ट बताती है कि शहरों के मुकाबले गांवों में गरीबी ज्यादा तेजी से घटी है. साल 2011-12 में ग्रामीण गरीबी 25.7 फीसदी थी. वर्ष 2023-24 में यह घटकर महज 4.86 फीसदी रह गई है. वहीं, शहरी गरीबी का आंकड़ा 4.09 फीसदी पर आ गया है. विश्व बैंक ने भी माना है कि ग्रामीण सुधारों के दम पर भारत दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा.

मनरेगा का बदला नाम, काम के दिन बढ़े

सरकार ने रोजगार गारंटी योजना में भी बड़े बदलाव किए हैं. केंद्रीय कैबिनेट ने मनरेगा का नाम बदलकर ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ करने के विधेयक को मंजूरी दी है. साथ ही काम के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 दिन कर दी गई है. पीएम किसान सम्मान निधि और स्वामित्व योजना भी किसानों को आर्थिक सुरक्षा दे रही हैं. इन कदमों से ग्रामीण इलाकों में पैसे का प्रवाह और तेज होगा.

यह भी पढ़ें:  Mutual Fund Investments: 10,000 रुपये से कैसे बनाएं 1 करोड़ रुपये? यहां पढ़ें पूरी डिटेल

बैंकों से कर्ज लेना हुआ आसान

ग्रामीण भारत अब साहूकारों के चंगुल से निकलकर बैंकों से जुड़ रहा है. औपचारिक स्रोतों से कर्ज लेने वाले परिवारों की संख्या बढ़कर 58.3 फीसदी हो गई है. सरकार ने गांवों में बैंकों की पहुंच बढ़ाने पर जोर दिया है. दिसंबर 2024 तक ग्रामीण इलाकों में बैंक शाखाओं की संख्या 56,579 तक पहुंच गई है. किसान क्रेडिट कार्ड और डिजिटल बैंकिंग ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को गांवों के अंतिम छोर तक पहुंचाया है.

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

Read more

Related News