Business News: भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रह सकती है। यह अनुमान पिछले वर्ष की समान तिमाही से काफी बेहतर है, जब अर्थव्यवस्था 5.6 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। घरेलू मांग में वृद्धि इस विकास की प्रमुख वजह बताई जा रही है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय 28 नवंबर को आधिकारिक आंकड़े जारी करेगा। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही थी। यह पिछली पांच तिमाहियों में सबसे तेज गति थी। वास्तविक जीडीपी की गणना आधार वर्ष 2011-12 के आधार पर की जाती है।
निजी खपत और आय वृद्धि ने दिया बढ़ावा
इंडिया रेटिंग्स के अर्थशास्त्री पारस जसराय ने बताया कि मांग पक्ष से निजी खपत विकास की प्रमुख चालक रही। उच्च और निम्न आय वाले परिवारों दोनों की वास्तविक आय में स्थिर बढ़ोतरी ने इस वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। निजी खपत में आठ प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि का अनुमान है।
विनिर्माण क्षेत्र में अनुकूल आधार प्रभाव और मजबूत निर्यात वृद्धि ने भी अर्थव्यवस्था को गति प्रदान की। सेवा क्षेत्र का मजबूत प्रदर्शन भी जीडीपी वृद्धि में सहायक रहा। आपूर्ति पक्ष से इन क्षेत्रों ने विकास को बढ़ावा दिया।
बजट घोषणाओं ने दी मदद
वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में घोषित आयकर कटौती ने उपभोग मांग को बल प्रदान किया। विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी दरों में युक्तिसंगत बनाने की प्रक्रिया ने भी खपत को प्रभावित किया। अगर खरीदारी के फैसले स्थगित नहीं किए गए होते तो निजी उपभोग और भी तेजी से बढ़ता।
निवेश की मांग में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। दूसरी तिमाही में निवेश सालाना आधार पर 7.5 प्रतिशत की मजबूत दर से बढ़ा है। सरकारी पूंजीगत व्यय ने अनिश्चितता के दौर में निवेश को स्थिरता प्रदान की।
विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में मजबूती
विनिर्माण क्षेत्र में निर्यात वृद्धि ने आर्थिक गतिविधियों को गति प्रदान की। वैश्विक बाजारों में भारतीय उत्पादों की मांग में वृद्धि ने इस क्षेत्र को फायदा पहुंचाया। सेवा क्षेत्र ने भी लगातार मजबूत प्रदर्शन जारी रखा है।
वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में निजी खपत सात प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 6.4 प्रतिशत रही थी। चालू वित्त वर्ष में इसके आठ प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। यह आर्थिक सुधार की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
