शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

भारतीय ड्रोन तकनीक: काल भैरव AI ड्रोन ने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में जीता सिल्वर मेडल

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Defence News: भारत ने रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल की है। स्वदेशी रूप से विकसित ‘काल भैरव’ ड्रोन ने क्रोएशिया में आयोजित 23वीं अंतरराष्ट्रीय अभिनव प्रदर्शनी 2025 में रजत पदक जीता है। यह ड्रोन भारतीय कंपनी फ्लाइंग वेज डिफेंस एंड एयरोस्पेस द्वारा विकसित किया गया है। इस उपलब्धि ने वैश्विक रक्षा बाजार में भारत की बढ़ती क्षमताओं को रेखांकित किया है।

काल भैरव भारत का पहला AI आधारित मीडियम ऑल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस कॉम्बैट ड्रोन है। यह पूरी तरह से स्वायत्त रूप से कार्य करने में सक्षम है। इसकी डिजाइन और विकास प्रक्रिया पूर्ण रूप से भारत में ही संपन्न हुई है। यह उपलब्धि ‘मेड इन इंडिया’ पहल की सफलता को दर्शाती है।

काल भैरव ड्रोन की विशेषताएं

यह ड्रोन एक बार में लगातार 30 घंटे तक उड़ान भर सकता है। इसकी सीमा 3000 किलोमीटर तक है। ड्रोन की कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली मिशन योजना से लेकर लक्ष्यीकरण तक सभी कार्य स्वयं संभालती है। यह स्वॉर्म ऑपरेशन में भी पूरी तरह सक्षम है। इसकी तकनीक इसे जटिल सैन्य अभियानों को स्वतंत्र रूप से संचालित करने में सक्षम बनाती है।

ड्रोन में मल्टी-सेंसर तकनीक और उन्नत स्मार्ट सिस्टम लगे हैं। यह विभिन्न दिशाओं से सटीक हमला कर सकता है। इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के दौरान भी यह अपना मिशन जारी रख सकता है। सिग्नल जैमिंग की स्थिति में भी यह प्रभावित नहीं होता। इसका मॉड्यूलर डिजाइन इसे बहु-उद्देश्यीय बनाता है।

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विभिन्न कार्यों में सक्षम

काल भैरव ड्रोन सटीक स्ट्राइक, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और समुद्री निगरानी जैसे कार्य कर सकता है। यह युद्ध के दौरान रियल-टाइम सूचना उपलब्ध कराने में सक्षम है। इसकी स्वदेशी प्रौद्योगिकी इसे विदेशी ड्रोन्स की तुलना में किफायती बनाती है। यह विशेषता इसे वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाती है।

ड्रोन का डिजाइन विभिन्न परिस्थितियों में कार्य करने के लिए अनुकूलित है। इसकी संचालन क्षमता इसे दीर्घकालिक मिशनों के लिए उपयुक्त बनाती है। तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि यह ड्रोन भविष्य की लड़ाई की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है। इसकी सफलता भारतीय रक्षा उद्योग के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी।

अंतरराष्ट्रीय पहचान और प्रतिक्रिया

क्रोएशिया में प्राप्त रजत पदक ने वैश्विक स्तर पर भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी को मान्यता दिलाई है। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने इस उपलब्धि की सराहना की है। यह सफलता भारत को रक्षा निर्यात के क्षेत्र में नए अवसर प्रदान करेगी। पारंपरिक रूप से वर्चस्व रखने वाले देशों के लिए भारत एक नया प्रतिस्पर्धी बनकर उभरा है।

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फ्लाइंग वेज डिफेंस के सीईओ सुहास तेजस्कंदा ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह जीत भारत की तकनीकी क्षमताओं का प्रमाण है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को अपनी रक्षा जरूरतों के लिए विदेशों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। स्वदेशी विकास ही दीर्घकालिक समाधान है।

भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए महत्व

काल भैरव ड्रोन की सफलता भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास की बढ़ती क्षमताओं को दर्शाती है। यह परियोजना रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे भारत को रक्षा आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही यह रक्षा निर्यात बढ़ाने में भी सहायक होगा।

विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की सफलताएं भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में महत्वपूर्ण स्थान दिलाएंगी। यह उपलब्धि न केवल तकनीकी क्षेत्र में बल्कि रणनीतिक स्तर पर भी महत्वपूर्ण है। भारत अब रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में न केवल उपभोक्ता बल्कि निर्माता के रूप में उभर रहा है।

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