शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

भारतीय संस्कृति: जानिए अलग-अलग राज्यों में पति को कैसे बुलाते हैं? यहां पढ़ें पूरी जानकारी

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India News: भारत की सांस्कृतिक विविधता यहां के रिश्तों में भी स्पष्ट दिखाई देती है। विभिन्न राज्यों में पति को बुलाने के तरीके भाषा और परंपरा के अनुसार बदलते रहते हैं। कहीं सम्मानजनक संबोधनों का प्रयोग होता है तो कहीं प्यार भरे शब्दों का। यह विविधता भारतीय समाज की समृद्ध परंपरा को दर्शाती है। आइए जानते हैं देश के विभिन्न हिस्सों में पति के लिए प्रयुक्त होने वाले खास संबोधनों के बारे में।

उत्तर भारत के हिंदी भाषी क्षेत्रों में पति के लिए पारंपरिक संबोधनों का प्रचलन है। पति, स्वामी या नाम के साथ जी जोड़कर बुलाना आम बात है। ग्रामीण इलाकों में महिलाएं अक्सर पति को सीधे नाम लेकर नहीं बुलातीं। वे सम्मान दर्शाने के लिए सुनिए या आप जैसे शब्दों का इस्तेमाल करती हैं।

पंजाब का प्यार भरा अंदाज

पंजाबीसंस्कृति में पति को बुलाने का तरीका बेहद खास होता है। यहां प्यार से सोणेया या जी कहकर संबोधित किया जाता है। नाम के साथ जी जोड़ना भी आम बात है। ये शब्द न केवल सम्मान दर्शाते हैं बल्कि रिश्ते में घनिष्ठता भी बढ़ाते हैं। इस तरह के संबोधन पारिवारिक रिश्तों को मजबूत बनाने का काम करते हैं।

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बंगाल में पति के लिए शामी शब्द का प्रयोग किया जाता है। इसका अर्थ स्वामी होता है। बाबू या सीधे नाम से पुकारना भी यहां आम है। ये संबोधन सादगी और स्नेह का प्रतीक माने जाते हैं। बंगाली परिवारों में इन शब्दों के माध्यम से रिश्तों की गर्मजोशी झलकती है।

महाराष्ट्र और गुजरात के संबोधन

मराठीभाषा में पति को नवरा कहा जाता है। यह शब्द महाराष्ट्र की संस्कृति में गहराई से रचा-बसा है। कई बार महिलाएं पति को हो या सुनते हो कहकर भी बुलाती हैं। गुजराती में पति के लिए नवरो या पती शब्द का प्रयोग होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में नाम के साथ भाई जोड़ना सम्मान का प्रतीक माना जाता है।

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दक्षिण भारतीय राज्यों में पति के लिए अलग-अलग शब्द प्रचलित हैं। तमिलनाडु में कणवर, कर्नाटक में गंड और तेलंगाना व आंध्र प्रदेश में भर्त या अय्या कहा जाता है। ये सभी शब्द वहां की स्थानीय भाषाई परंपरा को दर्शाते हैं। इन संबोधनों में क्षेत्रीय संस्कृति की झलक स्पष्ट देखी जा सकती है।

ओडिशा और राजस्थान की परंपरा

ओडिशामें पति को स्वामी या भर्ता कहकर बुलाया जाता है। पारंपरिक परिवारों में सम्मानजनक संबोधनों का विशेष महत्व है। राजस्थान में ठाकुर साहब, जी या नाम के साथ सा जोड़कर पुकारने की परंपरा है। यह संबोधन राजस्थानी संस्कृति और आदर भाव को प्रकट करते हैं।

भारत में हसबैंड के प्रति सम्मान और स्नेह का भाव विभिन्न शब्दों के माध्यम से व्यक्त होता है। यह विविधता देश की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाती है। हर क्षेत्र के अपने अनूठे संबोधन इस बात का प्रमाण हैं कि इंडियन कल्चर कितना जीवंत और बहुमुखी है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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