India News: भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर अपनी ऐतिहासिक यात्रा पूरी कर ली है। आज शाम 7:25 बजे (IST) आयोजित विदाई समारोह में उन्होंने भारत को गौरवान्वित किया। इस समारोह का सीधा प्रसारण दुनियाभर में देखा गया। शुभांशु ने कहा, “आज का भारत अंतरिक्ष से निडर और गर्व से भरा दिखता है।” यह पल हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है।
विदाई समारोह में बजा भारत का डंका
14 जुलाई को आयोजित विदाई समारोह में शुभांशु शुक्ला और Ax-4 मिशन के अन्य सदस्यों ने NASA की Expedition 73 टीम के साथ भावुक क्षण साझा किए। शुभांशु ने अपने भाषण में भारत की महत्वाकांक्षा और आत्मविश्वास को रेखांकित किया। उन्होंने ISRO, NASA और अन्य सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। यह समारोह अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक बना, जिसमें शुभांशु ने भारत का नाम रोशन किया।
Ax-4 मिशन की उपलब्धियां
26 जून 2025 को शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम स्पेसएक्स के ड्रैगन यान से ISS के लिए रवाना हुए। इस मिशन में कमांडर पेगी व्हिटसन, पोलैंड के सावोस्ज़ उज़नान्स्की और हंगरी के तिबोर कपू शामिल थे। 17 दिनों में टीम ने 250 से अधिक बार पृथ्वी की परिक्रमा की। उन्होंने 60 से ज्यादा वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें माइक्रोएल्गी और सेंट्रीफ्यूगेशन तकनीकों पर शोध शामिल था।
पृथ्वी पर वापसी की प्रक्रिया
14 जुलाई को दोपहर 2:25 बजे (IST) Ax-4 क्रू ड्रैगन यान में सवार होगा। प्री-फ्लाइट जांच के बाद, यान शाम 4:34 बजे ISS से अलग होगा। 15 जुलाई को दोपहर 3:00 बजे कैलिफोर्निया तट पर स्प्लैशडाउन के साथ शुभांशु पृथ्वी पर लौटेंगे। ISRO के अनुसार, वापसी के बाद उन्हें सात दिन के रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम से गुजरना होगा, ताकि वे पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण स्थिति में ढल सकें।
परिवार और देश का इंतजार
शुभांशु की वापसी के लिए उनके गृहनगर लखनऊ में उत्साहपूर्ण तैयारियां चल रही हैं। उनके परिवार ने खुशी और गर्व व्यक्त किया है। शुभांशु के पिता शंभु दयाल शुक्ला ने कहा, “हम उनकी सुरक्षित वापसी की प्रार्थना करते हैं।” यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए मील का पत्थर है। शुभांशु ISS पर पहुंचने वाले पहले भारतीय बने, जिसने युवाओं को प्रेरित किया।
भारत की अंतरिक्ष यात्रा में नया अध्याय
शुभांशु शुक्ला ने राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराया। उनकी यह यात्रा न केवल वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक भी है। Ax-4 मिशन ने भारत को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान में मजबूत स्थिति दिलाई। शुभांशु की वापसी के साथ ही भारत का गगनयान मिशन और भविष्य की योजनाओं को नई दिशा मिलेगी।
