New Delhi News: भारत-चीन सीमा पर फिलहाल शांति नजर आ रही है। लेकिन क्या यह शांति सच है या कोई बड़ा धोखा? अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन की एक रिपोर्ट ने सबको चौंका दिया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन यह शांति एक सोची-समझी रणनीति के तहत दिखा रहा है। यह Indian Army और भारत की सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। हालांकि, भारत ने भी अपनी कमर कस ली है। सीमा पर बुनियादी ढांचा और सैनिकों की तैनाती पहले से कई गुना ज्यादा मजबूत कर दी गई है।
पेंटागन का चौंकाने वाला खुलासा
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल में छपी पेंटागन की रिपोर्ट ने दुनिया का ध्यान खींचा है। रिपोर्ट कहती है कि चीन सीमा विवाद सुलझाने के लिए गंभीर नहीं है। यह शांति केवल एक भ्रम है। चीन ने 1962 की तरह ही कोई नई साजिश रची हो सकती है। पेंटागन ने आगाह किया है कि भारत को इस ‘दिखावटी शांति’ पर भरोसा नहीं करना चाहिए। Indian Army को हर पल सतर्क रहने की जरूरत है।
चीन तक भारत की सीधी पहुंच
गलवान घाटी की घटना ने भारत को बड़ा सबक दिया था। इसके बाद भारत ने सीमा पर अपनी ताकत बढ़ाई है। लेह में श्योक टनल शुरू हो चुकी है। यह सुरंग हर मौसम में खुली रहेगी। 12 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी यह सुरंग रणनीतिक रूप से बहुत अहम है। यह 982 मीटर लंबी है। अब बर्फबारी या लैंडस्लाइड से रास्ता बंद नहीं होगा। इससे DS-DBO रोड पूरे साल चालू रहेगी। Indian Army के वाहन अब तेजी से सीमा तक पहुंच सकेंगे।
BRO ने 5 साल में बदली तस्वीर
बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) ने पिछले पांच सालों में कमाल कर दिया है। सीमा तक सीधी पहुंच बनाने वाली 28 सड़कें तैयार हो चुकी हैं। साल 2025 में ही 1125 किलोमीटर लंबी सड़कें बनाई गई हैं। इसके अलावा दुर्गम इलाकों में 93 पुल बनाए गए हैं। 4 हेलिपैड और कई सुरंगे भी तैयार हैं। भारत ने अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग बनाई है। यह दुनिया की सबसे ऊंची डबल लेन टनल है।
हवाई मदद अब मिनटों में
भारत ने लेह में न्योमा एयरबेस भी तैयार कर लिया है। यह 13,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसके जरिए एलएसी (LAC) तक हवाई मदद बहुत जल्दी पहुंच सकती है। इसके अलावा ‘इंडो चाइना बॉर्डर रोड’ प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है। सेना अब 3-डी पेंटिंग जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। इससे इन्फ्रास्ट्रक्चर बेहद कम समय में तैयार हो रहा है। Indian Army अब चीन की हर चाल का जवाब देने के लिए तैयार है।
दोस्ती की आड़ में चीन की चाल
अक्टूबर 2024 में दोनों देशों ने सैनिक पीछे हटाने का समझौता किया था। पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकातें भी हुईं। सीधी फ्लाइट्स और व्यापार भी बढ़ा है। लेकिन पेंटागन का मानना है कि यह सब एक दिखावा हो सकता है। चीन अभी भी सीमा के उस पार अपना इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत कर रहा है। अरुणाचल प्रदेश में चीन की बुरी नजर अभी भी बनी हुई है। लद्दाख के कुछ इलाकों में चीनी सैनिक अभी भी मौजूद हैं।
बजट में भारी बढ़ोतरी
भारत सरकार ने चीन से निपटने के लिए खजाना खोल दिया है। BRO का बजट तीन गुना बढ़कर 81 मिलियन डॉलर हो गया है। सीमा पर पहुंच आसान बनाने के लिए 729 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। पहले सामान पहुंचाने में कई दिन लगते थे, अब घंटों में काम हो जाता है। पिछले पांच सालों में भारत का रक्षा बजट 60 फीसदी बढ़ा है। Indian Army के पास अब जवाबी हमले के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं।
