New Delhi News: भारतीय वायु सेना की ताकत अब कई गुना बढ़ने वाली है। भारत और रूस के बीच एक ऐतिहासिक रक्षा समझौता अंतिम चरण में है। इस डील के तहत भारत रूस से करीब 300 R-37M मिसाइलें खरीदेगा। ये हवा से हवा में मार करने वाली बेहद घातक मिसाइलें हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इनकी मारक क्षमता 300 किलोमीटर से भी ज्यादा है। यह दुनिया की सबसे लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइल मानी जाती है। भारतीय वायु सेना के लिए यह सौदा गेम-चेंजर साबित होगा।
सुखोई-30 से होगी लॉन्चिंग
यह मिसाइल दुश्मन के बड़े हवाई ठिकानों को बर्बाद करने में सक्षम है। यह AWACS (चेतावनी प्रणाली) और टैंकर विमानों को भारतीय सीमा में घुसने से पहले ही नष्ट कर देगी। भारतीय वायु सेना इन मिसाइलों को अपने सुखोई-30 MKI (Su-30MKI) जेट पर तैनात करेगी। इसके लिए विमानों में किसी बड़े बदलाव की जरूरत नहीं होगी। रूस पहले से ही अपने Su-30SM पर इनका इस्तेमाल करता है। भारतीय जेट्स में केवल रडार और मिशन कंप्यूटर का सॉफ्टवेयर अपडेट करना होगा।
पाकिस्तान की मिसाइलों को जवाब
मई 2025 में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय वायु सेना को लंबी दूरी की मिसाइलों की कमी खली थी। उस वक्त पाकिस्तानी वायु सेना के पास PL-15 मिसाइलें थीं। उनकी रेंज 180 से 200 किलोमीटर थी। अब R-37M के आने से यह समीकरण पूरी तरह बदल जाएगा। यह मिसाइल 250 से 300 किलोमीटर दूर से ही दुश्मन को लॉक कर लेगी। इससे भारतीय पायलटों को “पहले देखो और पहले मारो” का बड़ा फायदा मिलेगा।
18 महीने में मिलेगी डिलीवरी
R-37M मिसाइल को ‘AWACS किलर’ भी कहा जाता है। एक सुखोई जेट दो मिसाइलों के साथ दुश्मन के पूरे हवाई क्षेत्र को ब्लॉक कर सकता है। इससे दुश्मन की योजनाएं धरी की धरी रह जाएंगी। यह मिसाइल डील के 12 से 18 महीनों के भीतर ऑपरेशनल हो जाएगी। स्वदेशी एस्ट्रा Mk-2 मिसाइल के आने में अभी दो साल का समय है। वहीं, एस्ट्रा Mk-3 का उत्पादन 2030 के बाद शुरू होगा। तब तक R-37M भारतीय वायु सेना की हवाई सुरक्षा को मजबूत रखेगी।
