दिल्ली. देश का आम बजट (Union Budget 2023) हर आदमी को प्रभावित करता है. महंगाई, खर्चे, आमदनी और उस पर लगने वाले टैक्स से जुड़ी सारी बातें बजट में साफ हो जाती है, इसलिए हर साल लोगों को बजट का इंतजार रहता है.
आगामी 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बजट 2023-24 पेश करेंगी. हालांकि, अक्सर बजट भाषण के दौरान उसे समझना थोड़ा मुश्किल होता है, इसके लिए जरूरी है कि आप बजट से जुड़ी शब्दावली को जानें, इसलिए मनीकंट्रोल की मदद से हम आपके लिए कुछ अहम शब्दावलियां लेकर आए हैं जो बजट को समझने में आपकी मदद करेगी.
इन शब्दावली में आम बजट, कैपिटल बजट, रेवेन्यू बजट, रेवेन्यू और फिस्कल पॉलिसी क्या होती? राजकोषीय घाटा क्या होता है? सरकार को टैक्स के अलावा और कहां-कहां से कमाई होती है? इससे जुड़ी सभी जानकारी हासिल होगी.
आम बजट क्या है?
केंद्रीय बजट या यूनियन बजट को सामान्य बोलचाल की भाषा में आम बजट कहा जाता है. इसमें भारत सरकार एक वित्तीय वर्ष के दौरान होने वाली सभी आय और खर्च का ब्यौरा देती है. भारत में बजट वित्त वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च तक लागू रहता है. केंद्रीय बजट में ही राजस्व बजट और पूंजीगत बजट भी शामिल होता है. इसमें अगले वित्त वर्ष के खर्च और आमदनी से जुड़े अनुमान शामिल होते हैं.
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर क्या होते हैं?
वह टैक्स है जो सरकार सीधे वसूलती है. किसी व्यक्ति या कंपनी की आय पर जो टैक्स लगता है, वह डायरेक्ट टैक्स कहलाता है. इसमें इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स शामिल है.
वहीं, किसी वस्तु या सेवा की कीमत पर लगाया जाने वाला कर इनडायरेक्ट टैक्स कहलाता है. इस टैक्स को सरकार किसी व्यक्ति से सीधे नहीं वसलूती है, बल्कि विभिन्न उत्पादों और सेवाओं की कीमत पर लगाया जाता है. इनडायरेक्ट टैक्स में कस्टम ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी तक आते हैं. वहीं, जीएसटी भी एक तरह का इनडायरेक्ट टैक्स ही है.
बताते चलें कि विदेशों से आयात होकर आने वाली वस्तुओं पर लगाए जाने वाले चार्ज को कस्टम ड्यूटी कहा जाता है. वहीं, देश में बने प्रोडक्ट्स पर निर्माता की ओर से दिए जाने जाने वाले टैक्स को एक्साइज ड्यूटी कहते हैं.
रेवेन्यू बजट का क्या मतलब?
बजट कई हिस्सो में बंटा होता है और जिस हिस्से में विभिन्न मदों से सरकार को होने वाली आय और उस पर होने वाले खर्चों का ब्यौरा होता है, उसे रेवेन्यू बजट कहते हैं.
रेवेन्यू के स्रोतों को भी टैक्स रेवेन्यू और नॉन-टैक्स रेवेन्यू दो भागों में बांटा जाता है. टैक्स रेवेन्यू में विभिन्न टैक्स से होने वाली आय शामिल होती है, जिसमें इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, एक्साइज, कस्टम्स और सरकार की ओर से लगाए गए अन्य सेस और ड्यूटी आते हैं.
वहीं नॉन-टैक्स रेवेन्यू के स्रोतों में, लोन पर मिलने वाला ब्याज, सरकारी कंपनियों से मिलने वाला डिविडेंड और सरकार की ओर से दी जाने वाली दूसरी सेवाओं के बदले मिलने वाले फीस आदि शामिल होती है.
रेवेन्यू डेफिसिट क्या होता है?
सरकार हर वित्तीय वर्ष में अपने आमदनी और खर्च का लक्ष्य तय करती है. अगर रेवेन्यू उम्मीद से कम होता है तो इसे रेवेन्यू डेफिसिट (Revenue Deficit) यानी राजस्व घाटा कहते हैं. इसका मतलब है कि सरकार ने वित्त वर्ष के दौरान ज्यादा तेजी से खर्च किया. दूसरे शब्दों में सरकार ने जरूरी खर्च के बराबर कमाई नहीं की.
कैपिटल बजट में सरकार को विभिन्न स्रोतों से मिलने वाली पूंजी और उसका भुगतान शामिल होता हैं. पूंजी प्राप्तियों में जनता से सरकार का लिया हुआ कर्ज, रिजर्व बैंक से लिया उधार, विदेशी संस्थाओं और सरकारों से लिया गया लोन आदि आते हैं.
फिस्कल डेफिसिट और फिस्कल पॉलिसी क्या है?
फिस्कल डेफिसिट सरकार के खर्च और कमाई के बीच का अंतर है. अगर खर्चे सरकार की कमाई से ज्यादा हो जाते हैं तो उसे फिस्कल डेफिसिट यानी राजकोषीय घाटा कहते हैं.
वहीं, सरकार किस तरह खर्च करेगी और टैक्स सिस्टम क्या होगा, इसके लिए रणनीति बनाई जाती है. इसमें टैक्स और विभिन्न खर्चों जुड़े फैसलों का जिक्र होता है. बता दें कि अच्छी फिस्कल पॉलिसी महंगाई को काबू में करने के लिए अहम मानी जाती है.