International News: भूमध्य सागर में भारत और तुर्किए के बीच सैन्य तनाव देखने को मिला। भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस त्रिकंद को तुर्किए ने धमकी दी थी। तुर्किए ने युद्धपोत को हटाने के लिए अठारह घंटे का अल्टीमेटम दिया था। इसके जवाब में भारत ने तीन अतिरिक्त युद्धपोत भेजे।
भारत के इस कदम के बाद तनाव में कमी आई। तुर्किए के युद्धपोत अपने बंदरगाहों पर लौट गए। यह घटना भूमध्य सागर में भारत की बढ़ती सैन्य उपस्थिति को दर्शाती है। इस क्षेत्र का भारतीय व्यापार के लिए विशेष महत्व है।
भूमध्य सागर का महत्व
भूमध्य सागर भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है। रूस से भारत आने वाला व्यापार इसी मार्ग से गुजरता है। कजाखिस्तान और तजाकिस्तान जैसे देशों के साथ व्यापार भी यहीं से होता है। इस क्षेत्र में तुर्किए का प्रभावी दबदबा माना जाता है।
भारत ने हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाई है। अल्जीरिया, साइप्रस और ग्रीस जैसे देशों के साथ संबंध मजबूत किए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साइप्रस की आधिकारिक यात्रा भी की थी। इन देशों के साथ नौसैनिक अभ्यास किए जा रहे हैं।
नौसैनिक अभ्यास की पृष्ठभूमि
भारतीय नौसेना का तलवार श्रेणी युद्धपोत आईएनएस त्रिकंद साइप्रस में तैनात था। सितंबर में इसने ग्रीस की नौसेना के तीन जहाजों के साथ अभ्यास किया। इसके बाद यह जहाज लिमासोल बंदरगाह पर पहुंचा। वहां इसने साइप्रस नेशनल गार्ड नेवी के साथ संयुक्त अभ्यास पूरा किया।
इन नौसैनिक गतिविधियों को तुर्किए ने अपने लिए चुनौती माना। तुर्किए ने भारतीय युद्धपोत को धमकी भरा अल्टीमेटम जारी किया। सूत्रों के अनुसार तुर्किए भारतीय जहाज को निशाना बनाने की तैयारी कर रहा था। इस स्थिति में भारत ने सैन्य जवाब दिया।
भारत का सैन्य प्रतिक्रिया
तुर्किए की धमकी के बाद भारत ने तीन अतिरिक्त युद्धपोत भूमध्य सागर में भेजे। ये सभी युद्धपोत ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस थे। भारत के इस कदम ने क्षेत्र में स्थिति बदल दी। तुर्किए ने अपनी रणनीति बदलने का फैसला किया।
इस घटना के बाद भारत और ग्रीस का नौसैनिक अभ्यास सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। भारतीय नौसेना के जहाज अपने मिशन पूरा करने के बाद वापस लौट आए। इस पूरी घटना ने भारत की नौसैनिक क्षमता का प्रदर्शन किया।
भारत-तुर्किए संबंधों का इतिहास
दोनों देशों के बीच संबंध पहले से ही जटिल रहे हैं। तुर्किए ने पाकिस्तान को सैन्य ड्रोन की आपूर्ति की है। भारत ने तुर्किए में आए भूकंप के बाद ऑपरेशन दोस्त चलाकर मदद पहुंचाई थी। लेकिन राजनीतिक मतभेद बने रहे हैं।
तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगान की विदेश नीति ने क्षेत्र में तनाव बढ़ाया है। उन्होंने कई इस्लामिक देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयास किया है। भारत के साथ मतभेदों के बावजूद दोनों देश व्यापारिक संबंध बनाए रखे हैं। यह घटना द्विपक्षीय संबंधों में नया मोड़ ला सकती है।
