International News: भारत ने ताजिकिस्तान स्थित रणनीतिक आयनी एयरबेस से अपनी सैन्य मौजूदगी पूरी तरह समाप्त कर ली है। यह कदम दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय समझौते की समाप्ति के बाद उठाया गया है। सूत्रों ने बुधवार को इसकी पुष्टि की। भारत ने इस एयरबेस को लगभग 100 मिलियन डॉलर से विकसित किया था।
आयनी एयरबेस वही स्थान है जहां भारत ने लगभग दो दशक पहले अपने सैनिक तैनात किए थे। उस समय भारत अफगानिस्तान में तालिबान विरोधी नॉर्दर्न अलायंस का समर्थन कर रहा था। समझौता समाप्त होने के बाद सभी भारतीय कर्मी 2022 तक वापस बुला लिए गए।
समझौते की समाप्ति
भारत और ताजिकिस्तान के बीच एयरबेस के विकास और संयुक्त संचालन का समझौता चार साल पहले समाप्त हो गया। इसे आगे नहीं बढ़ाया गया। इसके बाद धीरे-धीरे भारतीय कर्मियों की वापसी शुरू हुई। यह प्रक्रिया 2022 तक पूरी हो गई।
एयरबेस राजधानी दुशांबे से लगभग 10 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। अब इसका संचालन पूरी तरह ताजिकिस्तान सरकार के अधीन है। भारत ने यहां सभी सैन्य और तकनीकी संपत्तियां वापस बुला ली हैं।
भारत के निवेश का इतिहास
पूर्व सोवियत काल में बने इस एयरबेस को भारत ने 2000 के दशक में आधुनिक बनाया। भारत ने इस पर करीब 100 मिलियन डॉलर खर्च किए। इन सुधारों में रनवे को मजबूत और लंबा करना शामिल था। इससे कॉम्बैट जेट्स और भारी परिवहन विमानों की लैंडिंग संभव हुई।
भारत ने फ्यूल डिपो, हैंगर और एयर ट्रैफिक कंट्रोल टॉवर जैसी सुविधाएं विकसित कीं। हार्डनड शेल्टर भी बनाए गए। 2014 के बाद भारत ने अपने एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमान भी यहां तैनात किए। करीब 200 भारतीय सैन्य कर्मी यहां ड्यूटी करते थे।
नॉर्दर्न अलायंस को समर्थन
भारत की इस मौजूदगी का मुख्य उद्देश्य तालिबान विरोधी नॉर्दर्न अलायंस को समर्थन देना था। भारत ने रसद और उपकरणों की आपूर्ति में तेजी लाने में मदद की। हवाई समर्थन और निगरानी मिशन भी चलाए गए। ताजिकिस्तान के फरखोर में भारत ने एक सैन्य अस्पताल स्थापित किया।
इसी अस्पताल में नॉर्दर्न अलायंस के नेता अहमद शाह मसूद का इलाज चल रहा था। 9/11 हमलों से दो दिन पहले हुए घातक हमले में घायल मसूद का यहीं निधन हो गया। यह अस्पताल घायल लड़ाकों के इलाज के लिए बनाया गया था।
रणनीतिक महत्व
2001 मे तालिबान शासन के पतन के बाद भी भारत ने एयरबेस पर मौजूदगी बनाए रखी। यह मध्य एशिया में भारत के प्रभाव को बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा था। एयरबेस अफगानिस्तान के वाखान कॉरिडोर से महज 20 किलोमीटर दूर स्थित है।
यह संकीर्ण पट्टी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से सटी हुई है। इस स्थान ने भारत को पाकिस्तान पर सामरिक दबाव बनाए रखने में मदद की। 2021 में तालिबान के कब्जे के दौरान भारत ने इस एयरबेस का उपयोग नागरिकों को निकालने के लिए किया।
नई रणनीति की ओर
विशेषज्ञों के अनुसार यह कदम भारत की मध्य एशिया नीति में नए अध्याय की शुरुआत है। नई परिस्थितियों में भारत को कूटनीतिक और आर्थिक माध्यमों से अपनी मौजूदगी मजबूत करनी होगी। क्षेत्र में बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य के अनुसार रणनीति में बदलाव जरूरी है।
भारत और ताजिकिस्तान के बीच रक्षा सहयोग जारी रहेगा। दोनों देशों के संबंध मजबूत बने रहने की उम्मीद है। भारत मध्य एशिया में अपने हितों की रक्षा के लिए नए तरीके अपनाएगा। कूटनीतिक संबंधों को और मजबूत किया जाएगा।
