India News: भारत द्वारा बंगाल की खाड़ी में घोषित लंबी दूरी के मिसाइल परीक्षण को रद्द कर दिया गया है। इस परीक्षण की तैयारी के दौरान अमेरिका और चीन ने अपने जासूसी जहाज हिंद महासागर में तैनात कर दिए थे। भारत ने इस परीक्षण के लिए जारी किया गया NOTAM रद्द कर दिया है। इससे पहले, परीक्षण क्षेत्र को 1,480 किलोमीटर से बढ़ाकर 3,550 किलोमीटर करने से विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया था कि यह अग्नि श्रृंखला की किसी उन्नत अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण हो सकता है।
विस्तारित परीक्षण क्षेत्र ने बढ़ाई दिलचस्पी
परीक्षण से पहले भारत ने NOTAM के तहत नो-फ्लाई जोन का दायरा काफी बढ़ा दिया था। इसे मूल 1,480 किलोमीटर से बढ़ाकर 3,550 किलोमीटर कर दिया गया था। इस विस्तार ने ही इस परीक्षण को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिलचस्पी पैदा की थी। इतने बड़े दायरे ने ही विश्लेषकों को यह अंदाजा लगाने पर मजबूर कर दिया कि भारत कोई बहुत लंबी दूरी की मिसाइल परखने जा रहा है। इसी अनुमान के बाद अमेरिका और चीन की सैन्य निगरानी की तैयारियां तेज हो गईं।
अमेरिका और चीन ने तैनात किए जासूसी जहाज
परीक्षण की संभावना के मद्देनजर अमेरिका और चीन दोनों ने ही अपने-अपने टोही जहाज हिंद महासागर में भेज दिए। चीन का ‘युआन वांग 5’ जहाज मलेशिया से होता हुआ हिंद महासागर में पहुंच गया। वहीं अमेरिका ने भी अपना ‘ओशन टाइटन’ नामक टोही जहाज भारत के पश्चिमी तट के पास तैनात किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह जहाज मालदीव की राजधानी माले के पास लंगर डाले हुए था। ऐसे जहाज आमतौर पर मिसाइल परीक्षण के डेटा एकत्र करने और उसके प्रदर्शन का विश्लेषण करने के लिए तैनात किए जाते हैं।
अग्नि-5 मिसाइल की बढ़ी रेंज
भारत की अग्नि-5 मिसाइल पहले से ही 5,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक मार करने में सक्षम है। यह मिसाइल भारत की रणनीतिक परमाणु सामर्थ्य का एक प्रमुख आधार है। हाल ही में, भारत ने अग्नि-5 मिसाइल के एक उन्नत संस्करण का सफल परीक्षण भी किया था। इस नए संस्करण में MIRV तकनीक शामिल है, जो एक मिसाइल से कई अलग-अलग लक्ष्यों पर हमला करने की क्षमता प्रदान करती है। इस तकनीक ने भारत की स्ट्राइक क्षमता में काफी इजाफा किया है।
देश में मिसाइल रोधी तैयारियां
भारत मिसाइल हमलों से बचाव के लिए अपनी खुद की एक बहुस्तरीय शील्ड विकसित कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ नामक एक एकीकृत वायु और मिसाइल रक्षा प्रणाली की घोषणा की थी . इस महत्वाकांक्षी परियोजना का लक्ष्य 2035 तक देश के रणनीतिक और नागरिक क्षेत्रों को पूर्ण सुरक्षा कवच प्रदान करना है। यह प्रणाली साइबर रक्षा प्रणालियों और काउंटर-स्ट्राइक हथियारों से भी जुड़ी होगी।
निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी
भारत के मिसाइल कार्यक्रम में अब निजी कंपनियां भी अहम भूमिका निभा रही हैं। नागस्त्रा-1 लॉइटरिंग म्यूनिशन जैसे हथियार नागपुर स्थित सोलर इंडस्ट्रीज द्वारा विकसित किए गए हैं। स्काईस्ट्राइकर ड्रोन का निर्माण बेंगलुरु की एक इकाई में किया गया है, जो अडानी ग्रुप और इजरायल की एलबिट सिस्टम्स के संयुक्त उद्यम का हिस्सा है। यह साझेदारी भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ नीतियों को मजबूती देती है।
