Haryana News: आयकर विभाग ने फरीदाबाद के किसानों को जमीन अधिग्रहण के बदले मिले मुआवजे पर नोटिस जारी कर दिए हैं। विभाग ने किसानों से उनकी आय और व्यय का ब्योरा मांगा है। इस कारण किसानों में रोष है। उनका कहना है कि मुआवजे पर टीडीएस पहले ही काटा जा चुका है और अब उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर किसान संघर्ष समिति ने हाल में एक बैठक भी की।
किसानों का आरोप है कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने मुआवजे की राशि दी थी। उस पर ब्याज के साथ टीडीएस भी कट चुका है। आयकर रिटर्न भी दाखिल किया जा चुका है। ऐसे में अब आयकर विभाग द्वारा आय-व्यय का ब्योरा मांगना उचित नहीं है। किसानों की मांग है कि अगर कोई जानकारी चाहिए तो विभाग को सीधे एचएसवीपी से पूछनी चाहिए।
किसान संघर्ष समिति नहरपार फरीदाबाद की बैठक सेक्टर-78 स्थित राजमहल गार्डन में हुई। बैठक की अध्यक्षता प्रधान जगबीर सिंह ने की। महासचिव सत्यपाल नरवत ने बताया कि ग्रेटर फरीदाबाद के सैकड़ों किसान आयकर नोटिस से परेशान हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में एचएसवीपी प्रशासक को पहले ही ज्ञापन दिया जा चुका है।
किसानों ने एचएसवीपी की प्रशासक अनुपमा अंजलि को इस मामले में ज्ञापन दिया था। उन्होंने किसानों को 15 दिन बाद बैठक के लिए बुलाने का आश्वासन दिया था। लेकिन डेढ़ महीने बीत जाने के बाद भी कोई बैठक नहीं हुई। इस देरी से किसान नाराज हैं। उन्हें लगता है कि उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।
बैठक में किसानों ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। एचएसवीपी प्रशासक को एक-दो दिन के भीतर नोटिस देकर 15 दिन का अंतिम समय दिया जाएगा। अगर इस अवधि में समस्या का समाधान नहीं निकला तो किसान आगे की कार्रवाई करेंगे। इस बैठक में जिले के कई गांवों के किसान नेता मौजूद थे।
बैठक में परमानंद कौशिक, ब्रह्मानंद, धर्मपाल वकील जैसे वरिष्ठ लोग शामिल हुए। खेड़ी कलां से जगदीश, प्रकाश, चंद्र सिंह ने भी अपने विचार रखे। नीमका गांव से उम्मेद सिंह और ज्ञानी सिंह ने भी समस्याओं का जिक्र किया। सभी ने एकजुटता दिखाते हुए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया।
किसानों ने बताया कि उनकी कई अन्य समस्याएं भी लंबित हैं। समिति को मिलने वाली वार्षिक रॉयल्टी का मामला अटका हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मिलने वाले बकाया ब्याज का भुगतान नहीं हुआ है। कुछ किसानों को सत्र न्यायालय से मिले मुआवजे पर ब्याज नहीं मिला।
अधिग्रहण से बची हुई जमीन तक पहुंच के लिए रास्ते नहीं दिए गए हैं। कुछ मामलों में किसानों ने पेमेंट करने के बाद भी प्लॉट्स का कब्जा नहीं पाया है। ये सभी मुद्दे किसानों की मुख्य चिंताओं में शामिल हैं। इनका त्वरित समाधान चाहते हैं।
किसानों का कहना है कि सरकार उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही। जमीन अधिग्रहण के बाद उन्हें विकास के नाम पर सिर्फ झूठे वादे मिले हैं। अब आयकर विभाग के नोटिस ने उनकी परेशानियां बढ़ा दी हैं। वे इस मामले में शीघ्र न्याय की उम्मीद कर रहे हैं।
किसान अब आयकर विभाग के अधिकारियों से सीधे मिलने की योजना बना रहे हैं। वे विभाग को पूरा तथ्य देंगे और अपनी मजबूरी समझाएंगे। उन्हें उम्मीद है कि अधिकारी उनकी बात समझेंगे और नोटिस वापस ले लेंगे। इस पूरे मामले में किसानों का संघर्ष जारी है।
