Shimla News: सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद भी जिला शिमला में सड़क हादसें कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। खराब सड़कों से ज्यादा हादसे शराब पीकर गाड़ी चलाना, ओवर स्पीड व गाड़ी चालते वक्त मोबाइल फोन सुनने से होते हैं।
कुछ मामलों में पैराफिट व क्रैश बैरियर न होना भी हादसे का कारण है। लेकिन ज्यादातर मामलों में ओवर स्पीड व नशे की हालत ही कारण माना जाता है। पुलिस के पास दर्ज आंकड़ों के अनुसार जिला शिमला में पिछले 4 महीनों में 115 सड़क हादसें हुए हैं।
इनमें 50 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। जबकि 174 इसमें घायल हुए हैं। जिला में नेशनल हाईवे व स्टेट हाईवे से ज्यादा सड़क हादसे ग्रामीण क्षेत्रों में होते हैं। पुलिस के आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच सालों यानि 2017 से लेकर 2021 तक जिला में 973 सड़क हादसे हुए हैं। इनमें 869 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। ज्यादातर सड़क हादसों में गाड़ियां सड़कों से बाहर निकल कर खाई में जा गिरी। यानी सड़कों के किनारे पैरापिट भी नहीं हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में हादसों का यह भी कारण
ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा हादसों का कारण चालकों पर पुलिस का डर होना भी नहीं है। शहर व इसके आसपास के क्षेत्रों में तो पुलिस की चेकिंग और नाके होते हैं। नेशनल हाईवे पर भी पुलिस का पहरा होता है। यहां पर चालक सीट बेल्ट लगाते हैं, दोपहिया वाहन हेलमेट भी पहनते हैं, लेकिन जैसे ही वह ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचते हैं वहां कोई रोकटोक नहीं होती। न पुलिस का पहरा है न ही चालान का डर, चालक बेखौफ होकर गाड़ी चलाते हैं। सड़कें कम चौड़ी होती है और पैरापिट भी नहीं हैं, इसलिए हादसे होने का ज्यादा खतरा रहता है।
यह है मुख्य कारण
सबसे ज्यादा सड़क हादसे शराब पीकर गाड़ी चलाने या फिर गाड़ी चलाते वक्त मोबाइल फोन सुनते हुए होते हैं। इसमें चालान की राशि बढ़ाई गई है। पुलिस का मानना है कि ज्यादा जुर्माने की राशि व पुलिस के जागरूकता अभियान से सड़क हादसे कम हुए हैं।
एएसपी सुनील नेगी ने कहा कि पुलिस वाहन चालकों को जागरूक कर रही है कि वाहन चलाते वक्त यातायात नियमों का पालन करें। नियमों की अवहेलना करने वालों, शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों पर पुलिस कार्रवाई करती है।