Himachal Water Cess: कुछ दिन पहले हिमाचल प्रदेश सरकार ने बजट सत्र के पहले दिन बिजली परियोजनाओं पर सेस लगाने से जुड़ा बिल पेश किया. सरकार के कदम से पड़ोसी राज्यों को बिजली दरों में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है.
इसका विरोध पंजाब जैसे राज्य कर सकते हैं क्योंकि ये यहीं से बिजली खरीदते हैं. केंद्र मौजूदा नीति की समीक्षा करने पर विचार कर रहा है. हिमाचल प्रदेश सरकार का कहना है कि इसका बोझ आम आदमी पर नहीं पड़ेगा. लेकिन इस परियोजना के बाद एक रूपये प्रति यूनिट तक इजाफा हो सकता है. अगर राज्य महंगी बिजली खरीदेंगे तो इसका असर आम आदमी तक पड़ सकता है. हिमाचल प्रदेश 75 हजार करोड़ रुपये के कर्ज तले दबा है और ऐसे में सरकार को वॉटर सेस से 4 हजार करोड़ रुपये सालाना आय होगी.
हिमाचल प्रदेश में प्रभावित नहीं होंगे रेट
यह कदम हिमाचल प्रदेश (एचपी) में 10,991 मेगावाट की कुल बिजली उत्पादन क्षमता वाली 172 जलविद्युत परियोजनाओं पर लागू होगा. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में हिमाचल के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने इसकी जानकारी दी. राज्य सरकार ने हिमाचल के निवासियों को आश्वासन दिया कि राज्य में बिजली के उपभोक्ताओं को प्रभावित नहीं करेगी. राष्ट्रीय पनबिजली नीति मेजबान राज्य को 12% मुफ्त बिजली की अनुमति देती है.
अन्य राज्यों में हो सकती है महंगी बिजली
एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त में बताया कि हिमाचल में तो इसका खास फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन अन्य पड़ोसी राज्यों को महंगी बिजली का बोझ उठाना पड़ सकता है. ये राज्य हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान और दिल्ली हैं. पंजाब हिमाचल से बिजली खरीदता है ऐसे में वहां के दाम भी प्रभावित हो सकते हैं. पंजाब सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि पंजाब, हिमाचल सरकार के फैसले को चुनौती दे सकता है. राज्य सरकार ने पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) को इस कदम के वित्तीय प्रभाव और नदी के पानी जैसे राष्ट्रीय संसाधनों पर जल उपकर लगाने की वैधता का अध्ययन करने के लिए कहा है.
पंजाब करेगा विरोध
अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “पंजाब एक तटवर्ती राज्य है और उसका नदी के पानी पर अधिकार है. उन्होंने कहा कि राज्य इसका कड़ा विरोध करेगा. उन्होंने कहा, लेवी से पंजाब पर 800 करोड़ रुपये का वार्षिक वित्तीय बोझ पड़ेगा क्योंकि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की बिजली प्रति यूनिट 1 रुपये महंगी हो जाएगी. बीबीएमबी भाखड़ा नंगल और ब्यास परियोजनाओं से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और चंडीगढ़ को पानी और बिजली की आपूर्ति को नियंत्रित करता है.
पंजाब को 800 करोड़ का नुकसान
पीएसपीसीएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बलदेव सिंह सरन ने कहा कि हम अधिनियम [कानून] की जांच कर रहे हैं. यह हमें लगभग ₹800 करोड़ सालाना प्रभावित करने वाला है. हम सरकार से परामर्श के बाद आगे की कार्रवाई करने जा रहे हैं, क्योंकि यह उपकर अवांछनीय है और हमारे रिपेरियन और अन्य अधिकारों का उल्लंघन करता है. विधानसभा में बिल पेश करते हुए हिमाचल के डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में इसी तरह के आधार पर बिल लाया गया है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में कुछ लोगों ने विधेयक के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया लेकिन अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि विधेयक को गंभीरता से विचार करने के बाद लाया गया है.