Uttar Pradesh News: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को 208 सांसदों का समर्थन मिला है। सोमवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ को यह प्रस्ताव सौंपा गया। धनखड़ ने कहा कि जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। जस्टिस वर्मा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, जिसके बाद उनकी जांच हुई थी।
नोट बरामदगी और जांच
14 मार्च को जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी मिली थी। आग लगने से कई नोट जल गए थे। फायर ब्रिगेड की सूचना पर पुलिस ने जांच शुरू की। उस समय जस्टिस वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट में थे, लेकिन मामला सामने आने पर उनका तबादला इलाहाबाद हाई कोर्ट में हुआ। तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने तीन जजों की कमेटी बनाकर जांच कराई थी।
सांसदों का समर्थन और नोटिस
लोकसभा स्पीकर को सौंपे गए नोटिस पर 145 सांसदों, जिसमें राहुल गांधी, रविशंकर प्रसाद और अनुराग ठाकुर शामिल हैं, ने हस्ताक्षर किए। प्रसाद ने कहा कि न्यायपालिका की निष्पक्षता के लिए यह कदम जरूरी है। राज्यसभा में 63 सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन किया। कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने कहा कि जांच में दोषी पाए जाने पर जस्टिस वर्मा को हटाया जाएगा।
कमेटी की रिपोर्ट और आरोप
उच्चतम न्यायालय की आंतरिक जांच समिति ने पाया कि जस्टिस वर्मा और उनके परिवार का उस स्टोर पर नियंत्रण था, जहां नकदी मिली। कमेटी ने इसे गंभीर कदाचार माना और महाभियोग की सिफारिश की। हालांकि, जस्टिस वर्मा ने किसी भी गलत कार्य में शामिल होने से इनकार किया है। वर्तमान में उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट में कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया है।
