Himachal News: पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने हिमाचल प्रदेश सरकार से अवैध सेब बगीचों को नष्ट करने के बजाय वन विभाग के नियंत्रण में लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि ये बगीचे हरे-भरे और उत्पादक हैं। इन्हें बचाने से पर्यावरण और अर्थव्यवस्था को लाभ होगा। शांता ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी। उनकी यह अपील प्रभावित किसानों के लिए उम्मीद की किरण बन सकती है।
वन विभाग को सौंपे जाएं बगीचे
शांता कुमार ने सुझाव दिया कि वन विभाग अवैध बगीचों को अपने कब्जे में ले। इससे सरकार को आय का स्थायी स्रोत मिलेगा। उन्होंने कहा कि इन बगीचों को बनाने में वर्षों की मेहनत लगी है। इन्हें नष्ट करना आर्थिक और पर्यावरणीय नुकसान पहुंचाएगा। वन विभाग इनकी देखभाल कर सकता है। यह कदम हिमाचल के सेब उत्पादकों के हित में होगा और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देगा।
मानवीय दृष्टिकोण की जरूरत
शांता ने एक 85 वर्षीय वृद्धा का उदाहरण दिया, जिसे उसके पुराने मकान से बेदखल कर दिया गया। उन्होंने इसे अमानवीय बताया। उनका कहना है कि सरकार को ऐसे मामलों में संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। यदि मकान लेना जरूरी हो, तो वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए। कई पुराने कब्जे सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से हुए। अब बुजुर्गों को सजा देना गलत है। यह अपील सरकार की नीतियों पर सवाल उठाती है।
पर्यावरण और आर्थिक नुकसान का खतरा
शांता कुमार ने चेताया कि अवैध बगीचों को नष्ट करना जैव हत्या के समान है। उन्होंने वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बोस का हवाला देते हुए कहा कि वृक्षों में भी जीवन होता है। इन बगीचों को काटने से हिमाचल को भारी आर्थिक और पर्यावरणीय नुकसान होगा। सेब के पेड़ फल दे रहे हैं। इन्हें बचाना जरूरी है। सरकार को नीति में बदलाव करना चाहिए।
पुराने कब्जों का जिक्र
उन्होंने बताया कि कई अवैध कब्जे दशकों पुराने हैं। इनमें शामिल लोग और सरकारी कर्मचारी अब जीवित नहीं हैं। फिर भी, उनके परिवारों को सजा दी जा रही है। शांता ने कहा कि कुछ अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी की थी। अब बगीचों को नष्ट करने के बजाय सरकार को व्यावहारिक रास्ता अपनाना चाहिए। यह सुझाव प्रभावित परिवारों के लिए राहत का कारण बन सकता है।
