शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

अवैध सेब बगीचे: शांता कुमार ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों पर उठाए सवाल, मांगी सख्त कार्रवाई

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने वन भूमि पर अवैध सेब बगीचों को काटने के सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि एक गांव में 300 बीघा वन भूमि पर 4000 सेब के पेड़ अवैध रूप से लगाए गए। अब इन्हें काटा जा रहा है। उन्होंने भ्रष्टाचार को इसका कारण बताया और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप

शांता कुमार ने कहा कि अवैध सेब बगीचे एक दिन में नहीं बने। पेड़ लगाने और फल देने में सालों लगते हैं। फिर भी, प्रशासन और वन विभाग चुप रहा। उन्होंने पूछा कि क्या कुछ चांदी के सिक्कों ने ईमानदारी को खरीद लिया? यह केवल एक गांव की कहानी नहीं, बल्कि पूरे हिमाचल की समस्या है। उन्होंने कहा कि लाखों-करोड़ों की वन भूमि पर ऐसे कब्जे हो रहे हैं।

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अदालतों से कार्रवाई की अपील

शांता कुमार ने सुप्रीम कोर्ट और हिमाचल हाईकोर्ट से निवेदन किया कि वे इस मामले में केवल पेड़ काटने का आदेश न दें। उन्होंने मांग की कि उस समय के जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई हो। उनके मुताबिक, भ्रष्टाचार की जड़ तक पहुंचना जरूरी है। केवल परिणाम पर ध्यान देने से समस्या का समाधान नहीं होगा। यह पूरे देश में अवैध कब्जों का सामान्य चलन बन गया है।

प्रदेश भर में अवैध कब्जों की समस्या

शांता कुमार ने कहा कि हिमाचल में कई जगहों पर वन भूमि पर अवैध कब्जे हुए हैं। शिमला के कोटखाई में 3800 सेब के पेड़ काटने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है। यह कार्रवाई हाईकोर्ट के आदेशों पर हो रही है। लेकिन उन्होंने दुख जताया कि ऐसे मामलों में मूल अपराधियों को सजा नहीं मिलती। यह स्थिति कानून का पालन करने वालों का मनोबल तोड़ती है।

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भ्रष्टाचार की नींव पर सवाल

पूर्व मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि अवैध कब्जों की शुरुआत भ्रष्टाचार से होती है। उन्होंने अदालतों से अपील की कि वे इस मूल कारण की गंभीरता को समझें। उनके अनुसार, बिना मिलीभगत के कोई भी वन भूमि पर पेड़ नहीं काट सकता। सरकार को ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। यह कदम भविष्य में ऐसे कब्जों को रोकने में मदद करेगा।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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