Himachal News: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी को अमेरिका से एक बड़ा दान प्राप्त हुआ है। अमेरिका में रहने वाले सतीश अग्रवाल और कमलेश अग्रवाल दंपती ने संस्थान को 86,000 अमेरिकी डॉलर का उदार दान दिया है। यह राशि भारतीय मुद्रा में लगभग 75 लाख रुपये के बराबर है। इस राशि से संस्थान की विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं को स्थायी वित्तीय आधार मिलेगा।
इस राशि से सतीश एवं कमलेश अग्रवाल चैरिटेबल फंड की स्थापना की जाएगी। यह फंड ह्यूस्टन, टेक्सास में स्थापित किया जाएगा। यह फंड आईआईटी मंडी की दीर्घकालिक विकासात्मक परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगा। संस्थान ने इस महत्वपूर्ण दान के लिए दंपती का आभार व्यक्त किया है।
फंड के ब्याज से चलेंगे शैक्षणिक कार्यक्रम
यह फंड एक मास्टर अकाउंट के रूप में संचालित होगा। फंड की मूल राशि को सुरक्षित रखा जाएगा। हर वर्ष इस फंड पर अर्जित ब्याज का 90 प्रतिशत हिस्सा विभिन्न कार्यों में उपयोग होगा। ब्याज की राशि छात्रवृत्तियों और अनुसंधान परियोजनाओं पर खर्च की जाएगी।
इस राशि से स्मार्ट क्लासरूम का विकास भी किया जाएगा। संकाय और छात्र यात्रा अनुदान के लिए भी धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। नवाचार प्रयासों और अवसंरचना विकास जैसे कार्यों को भी इस फंड से सहायता मिलेगी। फंड के प्रबंधन की जिम्मेदारी संकाय सदस्यों की कमेटी पर होगी।
आईआईटी रुड़की फाउंडेशन की महत्वपूर्ण भूमिका
इस सहयोग को संभव बनाने में आईआईटी रुड़की फाउंडेशन की महत्वपूर्ण भूमिका रही। संस्थान ने रुड़की के निदेशक मंडल के प्रति आभार जताया है। निदेशक मंडल ने दाताओं से प्राप्त संपूर्ण राशि बिना किसी कटौती के आईआईटी मंडी तक पहुंचाई।
रुड़की फाउंडेशन का पूरा व्यय उसके निदेशक मंडल द्वारा स्वयं वहन किया जाता है। इससे परोपकारी योगदान की प्रभावशीलता कई गुना बढ़ जाती है। दान की पूरी राशि सीधे संस्थान के विकास कार्यों में लगेगी। इससे छात्रों और शोधार्थियों को सीधा लाभ मिलेगा।
संस्थान प्रमुखों ने जताया आभार
आईआईटी मंडी के निदेशक प्रोफेसर लक्ष्मिधर बेहरा ने इस दान को उच्च शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यह सहयोग संस्थान के शैक्षणिक और अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेगा। यह दान नवाचार को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सहायक होगा।
डोरा डीन प्रोफेसर वरुण दत्त ने भी दानदाताओं के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह फंड संस्थान की दीर्घकालिक उत्कृष्टता को बनाए रखने में मदद करेगा। नवाचार को प्रोत्साहन मिलने से संस्थान की गुणवत्ता में और सुधार आएगा। छात्रों को बेहतर संसाधन उपलब्ध होंगे।
सतीश अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि यह योगदान शिक्षा और शोध को समर्पित है। उनका उद्देश्य ज्ञान और नवाचार के माध्यम से समाज पर स्थायी सकारात्मक प्रभाव डालना है। इस दान से संस्थान के शैक्षणिक माहौल को बल मिलेगा।
