Himachal News: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी देश की रक्षा और तकनीकी आत्मनिर्भरता में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर लक्ष्मीधर बेहरा ने बताया कि केंद्र सरकार के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में आईआईटी मंडी के ड्रोन का उपयोग किया गया। इन ड्रोन का संचालन संस्थान के विशेषज्ञों ने ही किया था।
यह जानकारी प्रोफेसर बेहरा ने संस्थान के 13वें दीक्षांत समारोह के दौरान दी। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि न केवल प्रदेश के लिए गौरव की बात है बल्कि यह दर्शाती है कि हिमाचल से निकली तकनीक अब राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान दे रही है। इससे संस्थान की शोध क्षमता का परिचय मिलता है।
सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी में बड़ी उपलब्धि
आईआईटी मंडी अब सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी काम कर रहा है। संस्थान के वैज्ञानिक 7 नैनोमीटर तक के सेमीकंडक्टर चिप बनाने पर शोध कर रहे हैं। यह भारत को इलेक्ट्रॉनिक चिप निर्माण में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
इस तकनीक के सफल होने पर मोबाइल फोन, लैपटॉप और ऑटोमोबाइल जैसे उपकरणों में उपयोग होने वाले उच्च गुणवत्ता वाले चिप्स देश में ही बनाए जा सकेंगे। यह परियोजना देश की तकनीकी स्वावलंबन की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित होगी।
टाटा समूह से मिला बड़ा प्रोजेक्ट
संस्थान ने हाल ही में टाटा समूह से 20 करोड़ रुपये का एक प्रोजेक्ट हासिल किया है। यह परियोजना भूकंप रोधी पुलों के निर्माण और भूस्खलन रोकने की तकनीक विकसित करने से जुड़ी है। प्रोफेसर बेहरा ने बताया कि यह प्रोजेक्ट तकनीकी और सामाजिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
मंडी जैसे पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन और भूकंप एक गंभीर समस्या हैं। इस नई तकनीक के विकास से इन प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में मदद मिलेगी। साथ ही इससे क्षेत्र के बुनियादी ढांचे की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी।
मेडिकल डिवाइसेज पर विशेष शोध
आईआईटी मंडी माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स और मेडिकल डिवाइसेज पर भी विशेष शोध कर रहा है। संस्थान स्वदेशी ग्लूकोमीटर और पेसमेकर जैसे जीवन रक्षक उपकरणों के निर्माण पर काम कर रहा है। इससे चीन जैसे देशों से इन उपकरणों के आयात पर निर्भरता कम होगी।
इन उपकरणों के स्वदेशी निर्माण से न केवल लागत कम होगी बल्कि देश के रोगियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध हो सकेंगी। यह शोध देश की स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
चार क्षेत्रों में संतुलित कार्य
प्रोफेसर बेहरा ने बताया कि संस्थान की टीम स्वास्थ्य, इलेक्ट्रॉनिक्स, पर्यावरण और रक्षा-चारों क्षेत्रों में संतुलित रूप से काम कर रही है। उनका मानना है कि जल्द ही आईआईटी मंडी देश के अग्रणी टेक्नोलॉजी केंद्रों में शामिल होगा।
संस्थान का लक्ष्य न केवल अनुसंधान करना है बल्कि सामाजिक जरूरतों से जुड़े समाधान भी तैयार करना है। इसी दिशा में संस्थान लगातार काम कर रहा है। विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे शोध इस बात का प्रमाण हैं।
प्रोफेसर बेहरा ने जोर देकर कहा कि उनका लक्ष्य तकनीक को केवल प्रयोगशाला तक सीमित नहीं रखना है। बल्कि उसे समाज की भलाई के लिए उपयोग में लाना है। ऑपरेशन सिंदूर में संस्थान की भूमिका इस बात का प्रमाण है कि आईआईटी मंडी की तकनीक अब व्यवहारिक रूप से उपयोग की जा रही है।
संस्थान का शोध कार्य निरंतर गति से आगे बढ़ रहा है। सेमीकंडक्टर चिप्स से लेकर मेडिकल उपकरणों तक के क्षेत्र में किए जा रहे काम देश के विकास में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। यह संस्थान हिमाचल प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय बन गया है।
