Himachal News: हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला में दस दिवसीय राष्ट्रीय शोध कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। यह कार्यशाला शिक्षा स्कूल के धौलाधार परिसर में आयोजित की जा रही है। भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद ने इस कार्यक्रम को प्रायोजित किया है। कार्यशाला का मुख्य विषय कृत्रिम बुद्धिमत्ता उपकरणों का शिक्षण और शोध में उपयोग है।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सत प्रकाश बंसल रहे। विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में वरिष्ठ भाजपा नेता डॉक्टर अविनाश राय खन्ना उपस्थित रहे। कार्यशाला का आयोजन 13 नवंबर से 22 नवंबर तक किया जाएगा। अतिथियों ने संयुक्त रूप से इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
कार्यशाला की रूपरेखा
कार्यशाला निदेशक प्रोफेसर विशाल सूद ने अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने कार्यशाला की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। इस कार्यक्रम की प्रासंगिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। यह कार्यशाला शोधकर्ताओं और छात्रों को आधुनिक एआई उपकरणों से परिचित कराएगी।
प्रोफेसर सूद ने बताया कि इस पाठ्यक्रम में विशेषज्ञों के व्याख्यान आयोजित किए जाएंगे। प्रायोगिक सत्रों और संवादात्मक चर्चाओं का भी आयोजन होगा। यह कार्यशाला प्रतिभागियों को शोध और शिक्षण में अधिक दक्ष बनाने में सहायक होगी। आधुनिक तकनीकों का ज्ञान शोध कार्यों की गुणवत्ता में सुधार लाएगा।
कुलपति का संबोधन
कुलपति प्रोफेसर सत प्रकाश बंसल ने उद्घाटन भाषण में महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने सामाजिक विज्ञान में शिक्षण पद्धतियों के पुनर्परिभाषण पर बल दिया। शोध कार्यप्रणालियों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की परिवर्तनकारी भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने प्रतिभागियों को एआई आधारित नवाचारों को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
प्रोफेसर बंसल ने कहा कि इससे शोध अधिक समावेशी और डेटा आधारित बनेगा। शोध कार्य वैश्विक स्तर पर अधिक प्रासंगिक हो सकेंगे। उन्होंने उच्च शिक्षा में डिजिटल साक्षरता के महत्व पर भी बल दिया। प्रौद्योगिकी के एकीकरण को आवश्यक बताया।
कुलपति ने शोधार्थियों को एआई का सावधानीपूर्वक उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने शिक्षा स्कूल द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की सराहना की। इस तरह के आयोजन शैक्षणिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विश्वविद्यालय शिक्षण और शोध के नए तरीकों को बढ़ावा दे रहा है।
कार्यशाला का महत्व
यह कार्यशाला शोध पद्धतियों में नवीनतम तकनीकों को शामिल करेगी। प्रतिभागी ई-कंटेंट निर्माण और नवीन शिक्षण विधियों सीखेंगे। सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपकरणों का प्रयोग बढ़ रहा है। इस कार्यशाला से प्रतिभागियों को इन उपकरणों की व्यावहारिक जानकारी मिलेगी।
कार्यशाला में देश भर के शोधार्थी और शिक्षाविद भाग ले रहे हैं। यह आयोजन शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। आधुनिक तकनीकों का उपयोग शोध कार्यों को और अधिक प्रभावी बना सकता है। विश्वविद्यालय इसी दिशा में कार्य कर रहा है।
इस कार्यशाला के माध्यम से प्रतिभागी नवीनतम शोध तकनीकों से परिचित होंगे। वे कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विभिन्न उपकरणों का प्रयोग सीखेंगे। इससे उनके शोध कार्यों की गुणवत्ता में सुधार आएगा। शिक्षण कार्यों में भी इन तकनीकों का लाभ मिलेगा।
