Hyderabad News: हैदराबाद की शाही मस्जिद के इमाम मौलाना डॉ. अहसान बिन मोहम्मद अल्हामूमी ने ‘आई लव मोहम्मद’ नारे पर दर्ज एफआईआरों पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने 1300 युवाओं पर दर्ज मामलों को निंदनीय बताया। इमाम ने कहा कि यह नारा मुसलमानों के ईमान का अटूट हिस्सा है। उन्होंने कानूनी कार्रवाई पर गहरी चिंता जताई।
मौलाना अल्हामूमी ने कहा कि मुसलमानों के दिल और दिमाग पर यह नारा लिखा हुआ है। उन्होंने एफआईआर दर्ज होने वाले युवाओं को बधाई दी। इमाम ने तंज कसते हुए कहा कि अगर केस दर्ज करना ही है तो देश के सभी मुसलमानों पर करें। उनका कहना था कि यह नारा केवल मुसलमानों तक सीमित नहीं है।
नारे का धार्मिक महत्व
इमाम ने स्पष्ट किया कि ‘आई लव मोहम्मद’ मुसलमानों की आस्था का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह नारा उनकी सांसों में बसा हुआ है। मौलाना ने जोर देकर कहा कि पैगंबर मोहम्मद की शिक्षाएं पूरी मानवजाति के लिए हैं। उन्होंने बताया कि इन शिक्षाओं ने समाज से अनेक बुराइयों को दूर किया है।
मौलाना अल्हामूमी ने कहा कि पैगंबर की शिक्षाएं महिलाओं के सम्मान और मानवाधिकारों की पैरोकार हैं। उनका मानना है कि शांति और सद्भाव चाहने वाला हर व्यक्ति इस नारे से सहमत होगा। इमाम ने इसे मानवता को जोड़ने वाला नारा बताया।
सोशल मीडिया पर समर्थन
मौलाना ने बताया कि सोशल मीडिया पर इस नारे को व्यापक समर्थन मिला। उन्होंने कहा कि लाखों गैर-मुस्लिम users ने भी इस ट्रेंड को अपनाया। कई लोगों ने सार्वजनिक रूप से बैनर लेकर इस मुहिम में हिस्सा लिया। इमाम ने सभी समर्थकों का आभार व्यक्त किया।
हैदराबाद की शाही मस्जिद के इस बयान ने एक नया विमर्श शुरू किया है। धार्मिक अभिव्यक्ति और कानूनी प्रावधानों के बीच संतुलन का मामला सामने आया है। यह घटना धार्मिक भावनाओं और कानूनी सीमाओं पर चल रही बहस को दर्शाती है।
