Himachal News: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में प्रथम वर्ष की एक छात्रा के साथ रैगिंग का मामला सामने आया है। यह घटना महिला छात्रावास चंद्रभागा में घटित हुई है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रा की शिकायत पर त्वरित कार्रवाई करते हुए जांच शुरू कर दी है। इस मामले की जांच एंटी रैगिंग कमेटी को सौंपी गई है।
मामला सोमवार का बताया जा रहा है जब महिला छात्रावास में रहने वाली प्रथम वर्ष की छात्रा के साथ फाइनल ईयर की एक छात्रा ने अपमानजनक व्यवहार किया। छात्रा ने मंगलवार को चीफ वार्डन के समक्ष लिखित शिकायत दर्ज कराई। विश्वविद्यालय प्रशासन ने गंभीरता से इस मामले को लिया है।
छात्रावास की समस्याओं को लेकर हुआ विवाद
शिकायतकर्ता छात्रा के अनुसार उसने छात्रावास में लाइटें न जलने और साफ-सफाई से जुड़ी समस्याओं की शिकायत वार्डन से की थी। इस शिकायत से फाइनल ईयर की छात्रा नाराज हो गई और उसने प्रथम वर्ष की छात्रा के साथ दुर्व्यवहार किया। पीड़ित छात्रा ने आरोप लगाया है कि उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
छात्रा का यह भी आरोप है कि उसके एसएफआई संगठन से जुड़े होने के कारण उसे निशाना बनाया गया। इस पूरे मामले ने विश्वविद्यालय परिसर में चर्चा का विषय बन गया है। छात्र संगठनों ने त्वरित और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
एंटी रैगिंग कमेटी ने शुरू की जांच
चीफ वार्डन आरएल जिंटा ने इस मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि मामले की जांच एंटी रैगिंग समिति को सौंप दी गई है। समिति ने छात्रावास वार्डन और आरोपी वरिष्ठ छात्रा से रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार की रैगिंग या भेदभावपूर्ण व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
जिंटा ने आगे कहा कि रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने शून्य सहनशीलता की नीति अपनाई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि न्याय सुनिश्चित करने के लिए हर ज़रूरी कदम उठाया जाएगा।
छात्राओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता
यह मामला एक बार फिर छात्रावासों में छात्राओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। विश्वविद्यालय परिसर में रैगिंग के खिलाफ सख्त नियम होने के बावजूद ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। छात्र नेताओं का कहना है कि प्रशासन को ऐसे मामलों में और सख्ती बरतनी चाहिए।
कई छात्र संगठनों ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि पीड़ित छात्रा को न्याय मिलना चाहिए। साथ ही ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले में गंभीरता दिखाई है। एंटी रैगिंग कमेटी द्वारा जांच शुरू किया जाना एक सकारात्मक कदम है। विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार रैगिंग के दोषी पाए जाने वाले छात्रों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का प्रावधान है।
प्रशासन ने सभी छात्रों को रैगिंग के खिलाब जागरूक करने के निर्देश दिए हैं। छात्रावासों में निगरानी व्यवस्था को और मजबूत करने पर विचार किया जा रहा है। इससे भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी।
छात्र संगठनों की प्रतिक्रिया
विभिन्न छात्र संगठनों ने इस मामले पर गहरी चिंता जताई है। उनका मानना है कि छात्रावासों में सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करना विश्वविद्यालय प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए। संगठनों ने पीड़ित छात्रा के साथ पूर्ण एकजुटता व्यक्त की है।
छात्र नेताओं ने मांग की है कि जल्द से जल्द इस मामले का निष्पक्ष निपटारा हो। उन्होंने कहा कि रैगिंग जैसी सामाजिक बुराइयाँको समाप्त करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। सभी छात्रों को मिलकर ऐसी प्रथाओं का विरोध करना चाहिए।
