Maharashtra News: महाराष्ट्र में अब एमए इतिहास के सिलेबस पर राजनीतिक विवाद छिड़ गया है। दरअसल नागपुर यूनिवर्सिटी ने अपने एमए इतिहास के सिलेबस से सीपीआई की जगह भाजपा को शामिल कर लिया है। वहीं पहले के सिलेबस में शामिल रहे जनसंघ और रिपब्लिकन पार्टी को बरकरार रखा गया है।
यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि नए सिलेबस का यह मकसद है कि छात्रों को भाजपा की स्थापना, उसके कामकाज और इतिहास के बारे में पढ़ाया जाए। यही नहीं यूनिवर्सिटी ने कांग्रेस की सहयोगी डीएमके पर दिए गए एक चैप्टर को हटाकर एआईएडीएमके को जगह दे दी है। बता दें कि एआईएडीएमके इन दिनों भाजपा के साथ है, जिसकी नेता दिवंगत जयललिता थीं।
खालिस्तान की जानकारी देने वाला एक चैप्टर अब तक पढ़ाया जा रहा था, उसे भी हटा लिया गया है। यूनिवर्सिटी सूत्रों के मुताबिक एक ऐसा चैप्टर भी जोड़ा गया है, जिसमें रामजन्मभूमि आंदोलन के बारे में पढ़ाया जाएगा। इस चैप्टन का शीर्षक ‘1980 से 2000 के दौरान भारतीय जनांदोलन’ रखा गया है। इसी में राम मंदिर आंदोलन के बारे में पढ़ाया जाएगा, जिसने भारतीय राजनीति में बड़े बदलाव किए और भाजपा का तेजी से उभार हुआ। इससे पहले 2019 में भी यूनिवर्सिटी को ऐसे ही एक विवाद का सामना करना पड़ा था। तब यूनिवर्सिटी ने बीए इतिहास के चौथे सेमेस्टर के सिलेबस में एक चैप्टर आरएसएस को लेकर शामिल किया था। आरएसएस का मुख्यालय भी नागपुर में ही है।
नए सिलेबस को ड्राफ्ट करने वाली समिति में शामिल श्याम कोरेटी ने कहा कि भाजपा की पूर्ववर्ती पार्टी जनसंघ को पहले ही इसमें रखा गया था। ऐसे में भादपा को शामिल करने में क्या गलत है। उन्होंने सीपीआई को हटाने को भी सही बताते हुए कहा कि अब यह दल राष्ट्रीय पार्टी नहीं है। इसलिए उसको हटाकर भाजपा को जगह दी गई है। भाजपा का राष्ट्रीय स्तर पर प्रसार है और सीपीआई के मुकाबले कहीं ज्यादा विस्तार है। उन्होंने यह भी कहा कि हमने भाजपा के 2010 तक के इतिहास को ही सिलेबस में रखा है। हम बच्चों को गलत चीजें नहीं पढ़ा सकते।