New Delhi News: Supreme Court ने शुक्रवार को एक भावुक और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एक ऐसे व्यक्ति को नौकरी पर बहाल किया है जिसकी मौत हो चुकी है। यह लड़ाई उसके परिवार ने लड़ी थी। कोर्ट ने कर्मचारी को 33 लाख रुपये से ज्यादा का भुगतान करने का आदेश दिया है। Supreme Court का यह फैसला 30 साल पुराने एक मामले में आया है।
क्या है पूरा मामला?
दिनेश चंद्र शर्मा जयपुर के अशोका होटल में रूम अटेंडेंट थे। उन्हें 1991 में दुर्व्यवहार के आरोप में नौकरी से निकाल दिया गया था। अफसोस की बात है कि Supreme Court का फैसला आने तक वह जीवित नहीं रहे। उनके कानूनी वारिसों ने अपने पिता के सम्मान के लिए यह केस लड़ा। कोर्ट ने माना कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप कभी साबित नहीं हुए।
हाईकोर्ट के फैसले पर लगी मुहर
लेबर कोर्ट ने 2015 में शर्मा को पूरी पिछली सैलरी देने का आदेश दिया था। हालांकि, राजस्थान हाईकोर्ट ने इसे घटाकर 50% कर दिया था। Supreme Court ने हाईकोर्ट के फैसले को सही और व्यावहारिक माना। अब परिवार को 50% बकाया वेतन और 33,68,326 रुपये के रिटायरमेंट लाभ मिलेंगे। यह फैसला जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने सुनाया।
जिंदा रहने के लिए काम करना गलत नहीं
कंपनी ने दलील दी थी कि शर्मा ने बेरोजगारी के दौरान कुछ और काम किया होगा। इस पर Supreme Court ने सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि जिंदा रहने के लिए छोटा-मोटा काम करना गलत नहीं है। इसके आधार पर किसी की बकाया सैलरी नहीं रोकी जा सकती। नौकरी से निकाला जाना एक कलंक होता है। इससे व्यक्ति को दूसरी जगह आसानी से काम नहीं मिलता है।
