Right to Disconnect Bill: नौकरी पेशा लोगों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। अब ऑफिस खत्म होने के बाद आपको बॉस का फोन या ईमेल का जवाब देने की जरूरत नहीं होगी। लोकसभा में कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025’ पेश किया गया है। यह Hindi News उन करोड़ों कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आई है जो वर्क-लाइफ बैलेंस की कमी से जूझ रहे हैं। अगर यह बिल कानून बन जाता है, तो निजी समय में दफ्तर का काम करना या फोन करना अपराध माना जाएगा।
क्या है राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025?
इस बिल का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को मानसिक तनाव से मुक्त रखना है। बिल के प्रावधानों के अनुसार, कंपनियों को अपने कर्मचारियों की प्राइवेसी का पूरा सम्मान करना होगा। Hindi News रिपोर्ट्स बताती हैं कि ऑफिस के घंटे खत्म होने के बाद मैनेजर या बॉस काम से जुड़ा कोई भी संपर्क नहीं कर सकेंगे। यह नियम वर्क फ्रॉम होम करने वाले कर्मचारियों पर भी समान रूप से लागू होगा। बिल यह सुनिश्चित करता है कि कर्मचारी अपने परिवार और निजी जीवन को गुणवत्तापूर्ण समय दे सकें।
एनसीपी सांसद ने संसद में रखा प्रस्ताव
इस महत्वपूर्ण बिल को एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में पेश किया। उन्होंने सदन को बताया कि प्राइवेट सेक्टर और अन्य कर्मचारियों की भलाई के लिए यह कदम उठाना बेहद जरूरी है। सुप्रिया सुले ने तर्क दिया कि अक्सर ऑफिस टाइम के बाद कॉल या ईमेल का जवाब न देने पर कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया जाता है। उन्हें टारगेट किया जाता है। Hindi News में इस मुद्दे पर काफी चर्चा हो रही है, क्योंकि यह सीधा आम आदमी की जिंदगी से जुड़ा है। सांसद ने श्रम मंत्रालय से इसे जल्द कानून बनाने की अपील की है।
प्राइवेट मेंबर बिल होने से राह मुश्किल
सुप्रिया सुले केंद्र सरकार का हिस्सा नहीं हैं, इसलिए उन्होंने इसे ‘प्राइवेट मेंबर बिल’ के तौर पर पेश किया है। संसद के नियम अनुसार, कोई भी सांसद निजी तौर पर बिल पेश कर सकता है। हालांकि, ऐसे बिलों का कानून बनना थोड़ा मुश्किल होता है। सरकार अक्सर सरकारी बिलों को ही प्राथमिकता देती है। फिर भी, इस बिल के जरिए कर्मचारियों की समस्याओं पर सरकार का ध्यान खींचने की कोशिश की गई है। Hindi News के माध्यम से यह मुद्दा अब राष्ट्रीय स्तर पर उठ रहा है।
शिकायत दर्ज कराने का मिलेगा अधिकार
इस बिल में कर्मचारियों को ‘पूरी तरह डिस्कनेक्ट’ होने का अधिकार दिया गया है। इसका मतलब है कि छुट्टी के दिन या शिफ्ट खत्म होने के बाद आपको काम की चिंता नहीं करनी होगी। अगर कोई मैनेजर नियम तोड़कर कॉल या ईमेल करता है, तो कर्मचारी उसे इग्नोर कर सकता है। बिल में यह भी प्रावधान है कि जवाब न देने पर कंपनी कर्मचारी पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। यदि कंपनी दबाव बनाती है, तो पीड़ित कर्मचारी उस मैनेजर या बॉस के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है। Hindi News अपडेट्स के मुताबिक, कई कर्मचारी संगठन इस बिल का समर्थन कर रहे हैं।
कंपनियों की मनमानी पर लगेगी लगाम
आजकल कई कंपनियां कर्मचारियों से ऑफिस से घर जाने के बाद भी काम कराती हैं। डेडलाइन के नाम पर देर रात तक ईमेल भेजे जाते हैं। कर्मचारी नौकरी बचाने के डर से मजबूरी में काम करते हैं। सुप्रिया सुले का यह बिल इसी संस्कृति को बदलने की वकालत करता है। यह बिल कर्मचारियों के आराम और उनके निजी समय को कानूनी सुरक्षा देने का प्रस्ताव करता है।
