शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

Himalayan Glacier Lakes: IIT मंडी ने विकसित किया AI मॉडल, 94% सटीकता से भांपेगा बाढ़ का खतरा

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Environment News: हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियर झीलों के बढ़ते खतरे को भांपने के लिए आईआईटी मंडी ने एक क्रांतिकारी तकनीक विकसित की है। डेरिक्स पी शुक्ला के नेतृत्व में शोधार्थी भावना पाठक ने मशीन लर्निंग आधारित स्वचालित मॉडल तैयार किया है। यह उपग्रह चित्रों से 94.44 प्रतिशत सटीकता के साथ ग्लेशियल झीलों की पहचान कर सकता है।

जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय की ग्लेशियर झीलों का आकार लगातार बढ़ रहा है। ये झीलें अचानक टूटकर भयंकर बाढ़ ला सकती हैं। इससे निचले इलाकों में जान-माल और बुनियादी ढांचे को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। नया मॉडल इस खतरे की समय रहते चेतावनी दे सकेगा।

मशीन लर्निंग तकनीक की खासियत

यह प्रणाली सेंटिनल और प्लैनेटस्कोप उपग्रहों के चित्रों का विश्लेषण करती है। रेंडम फॉरेस्ट मशीन लर्निंग एल्गोरिदम के साथ यह डेटा को जोड़ती है। पहले झीलों की पहचान के लिए मानवीय विश्लेषण पर निर्भर रहना पड़ता था। अब यह प्रक्रिया तेज, सटीक और किफायती हो गई है।

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मॉडल की खास बात यह है कि यह हिमालय जैसे कठिन भू-भागों के अनुसार स्वयं को अनुकूलित कर लेता है। इसे महंगे ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट की आवश्यकता नहीं है। इसलिए यह तकनीक छोटे शोध केंद्रों और सरकारी संस्थाओं के लिए भी सुलभ है।

ग्लेशियर झीलों के बढ़ते आकार का खतरा

शोध से पता चला है कि हिमाचल के सतलुज नदी बेसिन में ग्लेशियर झीलों की संख्या तेजी से बढ़ी है। वर्ष 2019 में 562 झीलें थीं जो 2023 में बढ़कर 1,048 हो गईं। वर्ष 2023 में कुल 1,981 ग्लेशियल झीलों का मानचित्रण किया गया। लिटिल आइस एज की समाप्ति के बाद से ग्लेशियर पीछे हट रहे हैं।

इसके परिणामस्वरूप पहले ग्लेशियरों से ढके क्षेत्रों में अब झीलें बन रही हैं। पूर्ववर्ती अध्ययनों में वर्ष 2011-2013 के दौरान 500 वर्ग मीटर से बड़ी 958 ग्लेशियल झीलों का मानचित्रण किया गया था। अब स्थिति और गंभीर हो गई है।

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आपदा प्रबंधन में मददगार

यह प्रणाली नदियों, छायाओं और बर्फ के पिघलाव से उत्पन्न झूठी पहचान को कम करती है। इससे झीलों की वास्तविक और स्पष्ट सीमाएं सामने आती हैं। प्लैनेटस्कोप उपग्रह के उच्च-रिजॉल्यूशन चित्रों ने इस तकनीक की विश्वसनीयता साबित की है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रणाली विज्ञानियों और आपदा प्रबंधन एजेंसियों दोनों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। इसके जरिए झीलों के आकार और विस्तार की रियल-टाइम निगरानी संभव हो सकेगी। नीति निर्माताओं को भी इससे महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी।

मशीन लर्निंग आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का हिस्सा है जो कंप्यूटर सिस्टम को डेटा से सीखने की क्षमता प्रदान करता है। यह स्पष्ट प्रोग्रामिंग के बिना भविष्यवाणियां कर सकता है। ईमेल में स्पैम फिल्टर करना या वर्चुअल असिस्टेंट द्वारा भाषा समझना मशीन लर्निंग के उदाहरण हैं।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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