शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल का अनोखा पर्व: दिवाली के बाद ‘पत्थर मेला’ में युवाओं ने एक-दूसरे पर बरसाए पत्थर, खून से किया देवी का तिलक

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश के धामी क्षेत्र में दिवाली के एक दिन बाद अनोखे ‘पत्थर मेले’ का आयोजन किया गया। शिमला से 26 किलोमीटर दूर हलोग गांव में मंगलवार को यह परंपरागत मेला आयोजित हुआ। इसमें स्थानीय युवाओं की दो टोलियों ने एक-दूसरे पर पत्थर बरसाए।

मेले की शुरुआत दोपहर साढ़े तीन बजे हुई। करीब 26 मिनट तक चली पत्थरबाजी के दौरान एक युवक को पत्थर लगा। उसके खून से देवी मां का राजतिलक किया गया। स्थानीय लोग इस परंपरा को सदियों से निभा रहे हैं।

सेवानिवृत्त एसएचओ को लगा पत्थर

हलोग गांव के रहने वाले सुभाष को भी पत्थर लगा। वे पुलिस विभाग में एसएचओ के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। सुभाष ने बताया कि वे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें पत्थर लगा। उन्होंने कहा कि यह आस्था का विषय है।

सुभाष ने कहा कि अगाध आस्था के चलते लोग खुशी से इस मेले में शामिल होते हैं। अब तक किसी को गंभीर चोट नहीं आई है। पत्थर लगने से केवल तिलक लगाने भर का ही खून निकलता है।

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राजपरिवार से जुड़ी है परंपरा

इस परंपरा का जुड़ाव धामी रियासत के राजपरिवार से है। यहां का राजपरिवार पृथ्वी राज चौहान के वंशज हैं। स्थानीय खूंदों की टोलियां इस पत्थरबाजी में शामिल होती हैं। सबसे पहला पत्थर राज परिवार की ओर से मारा जाता है।

उसके बाद दोनों ओर से पत्थरों की बौछार शुरू होती है। पत्थरबाजी तब तक चलती है जब तक कोई लहूलुहान न हो जाए। जिस व्यक्ति का खून निकलता है, उससे मां भद्रकाली को रक्ततिलक किया जाता है।

नरबलि की जगह शुरू हुई परंपरा

राजपरिवार के सदस्य जगदीप सिंह ने बताया कि सैकड़ों वर्ष पूर्व सुख-शांति के लिए नरबलि की प्रथा थी। बाद में एक रानी ने नरबलि की जगह खून से तिलक लगाने की प्रथा शुरू की। यह रानी शारड़ा नामक स्थान पर सती हुई थीं।

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उन्होंने सती होने से पहले नरबलि और पशुबलि पर रोक लगाई। बलि के स्थान पर इस पत्थर मेले का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि इससे क्षेत्र में आपदाओं से रक्षा होती है।

विधिवत पूजा के बाद शुरू होता है मेला

मेले की शुरुआत से पहले राजदरबार में ग्राम देवता देव कुर्गुण की पूजा की जाती है। इसके बाद नरसिंह भगवान की पूजा होती है। नरसिंह के पुजारी सुरक्षा के फूल लेकर आते हैं।

राजपरिवार के सदस्य फूल लेकर शारड़ा नामक स्थान तक जुलूस निकालते हैं। रास्ते में सभी देवस्थानों पर पूजा की जाती है। इसके बाद दोनों टोलियां आमने-सामने होती हैं और पत्थरबाजी शुरू होती है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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