बुधवार, दिसम्बर 31, 2025

Himachal Weather Alert: कुदरत का डबल अटैक! पर्यटकों और किसानों के लिए आई बुरी खबर, खतरे में पहाड़ों की खूबसूरती

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Himachal News: देवभूमि हिमाचल प्रदेश इन दिनों प्रकृति की दोहरी मार झेल रहा है। एक तरफ हाड़ कंपाने वाली ठंड और बर्फबारी है, तो दूसरी तरफ बढ़ता हुआ प्रदूषण। राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले पर्यटन और कृषि क्षेत्रों पर इसका गहरा असर पड़ रहा है। जहां सैलानी बर्फबारी का लुत्फ उठाने आते थे, वहीं अब खराब मौसम और रास्तों के बंद होने से उन्हें भारी परेशानी हो रही है। इसके साथ ही पाले और बदलते मौसम ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। यह स्थिति राज्य के भविष्य के लिए एक बड़ा संकेत है।

पर्यटन उद्योग पर मंडराया संकट

सर्दियों का मौसम हिमाचल प्रदेश के पर्यटन कारोबार के लिए सबसे अहम होता है। देश-विदेश से लाखों पर्यटक यहां की वादियों का दीदार करने पहुंचते हैं। लेकिन इस बार कड़ाके की ठंड और शीतलहर ने इस उत्साह को ठंडा कर दिया है। भारी बर्फबारी के कारण नेशनल हाईवे और कई संपर्क मार्ग बंद हो रहे हैं। इससे पर्यटक घंटों जाम में फंसने या यात्रा रद्द करने को मजबूर हैं। कई इलाकों में बिजली और पानी की सप्लाई ठप पड़ जाती है, जिससे होटलों में रुकना मुश्किल हो रहा है।

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प्रदूषण और धुंध ने फीका किया मजा

पर्यटकों की बढ़ती भीड़ और वाहनों के धुएं ने पहाड़ों की हवा को जहरीला बना दिया है। स्मॉग और धुंध के कारण विजिबिलिटी काफी कम हो गई है। पर्यटक जिस प्राकृतिक सुंदरता को देखने आते हैं, वह अब धुएं की चादर में लिपटी नजर आती है। इसका सीधा असर स्थानीय कारोबारियों पर पड़ा है। होटल खाली हैं और टैक्सी ड्राइवरों से लेकर छोटे दुकानदारों तक की कमाई में भारी गिरावट आई है। यह स्थिति लंबे समय तक रही तो कई लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा।

किसानों और बागवानों की टूटी कमर

मौसम की बेरुखी का सबसे ज्यादा दर्द हिमाचल प्रदेश के किसान और बागवान झेल रहे हैं। यहां की खेती पूरी तरह मौसम पर निर्भर है। अत्यधिक ठंड और पाले के कारण गेहूं, जौ, मटर और आलू की फसलें खेतों में ही खराब हो रही हैं। सेब और अन्य फलों के लिए मशहूर इस राज्य में तापमान के उतार-चढ़ाव ने फल उत्पादन को प्रभावित किया है। फूल आने के समय अचानक ठंड बढ़ने से फूल झड़ रहे हैं, जिससे फलों की क्वालिटी और मात्रा दोनों घट रही है।

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जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण हैं जिम्मेदार

विशेषज्ञों के अनुसार, खेती के पैटर्न में आया यह बदलाव जलवायु परिवर्तन का नतीजा है। पहले जहां नियमित बर्फबारी फसलों के लिए वरदान थी, अब वह मुसीबत बन गई है। इसके अलावा वायु प्रदूषण ने पौधों की प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया को धीमा कर दिया है। मिट्टी और पानी में मिल रहे प्रदूषक तत्वों से जमीन की उपजाऊ शक्ति कम हो रही है। इससे किसानों की लागत बढ़ रही है और मुनाफा घट रहा है।

भविष्य के लिए संभलना जरूरी

इस संकट से निपटने के लिए अब कड़े कदम उठाने का समय आ गया है। पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्यावरण का ध्यान रखना भी जरूरी है। ई-वाहनों का उपयोग और कचरा प्रबंधन जैसी व्यवस्थाएं लागू करनी होंगी। वनों की कटाई रोककर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे। किसानों के लिए मौसम आधारित बीमा योजनाएं और आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल बढ़ाना होगा। सरकार और आम जनता के साझा प्रयासों से ही हिमाचल प्रदेश की खूबसूरती और आर्थिकी को बचाया जा सकता है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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