Kullu News: हिमाचल प्रदेश के निरमंड तहसील में एक दुखद घटना सामने आई है। तीन भेड़ पालकों की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई। ये पालक अपनी भेड़-बकरियों को चराने के लिए श्रीखंड पर्वत के रास्ते पर गए थे। मृतकों की पहचान डिनु राम (45), पवन देव (31) और बजारू राम (58) के रूप में हुई है। तीनों के शव श्रीखंड यात्रा के बेस कैंप सिंहगाड़ से ऊपर कुंशा क्षेत्र में एक साथ मिले। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है.
मृतक भेड़ पालक निरमंड तहसील के अलग-अलग गांवों के निवासी थे। डिनु राम धनी राम के पुत्र थे और जुआगी गांव से ताल्लुक रखते थे। पवन देव पदम सिंह के पुत्र थे और ठारवा गांव के रहने वाले थे। बजारू राम मारू राम के पुत्र थे और बसवारी गांव के निवासी थे। तीनों करीब एक सप्ताह पहले अपने पशुओं को चराने के लिए घर से निकले थे. जब उनके परिवार वालों ने उनसे संपर्क करना चाहा तो उनके फोन नहीं लगे। इसके बाद परिजन उनकी तलाश में निकल पड़े।
मौत के कारणों की जांच जारी
पुलिस ने तीनों शवों को निरमंड लाने का प्रबंध किया है। डीएसपी चंद्रशेखर कायथ ने इस घटना की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि मौत का सही कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार ठंडे मौसम या ऑक्सीजन की कमी से उनकी मौत हो सकती है। कुंशा का इलाका काफी ऊंचाई पर स्थित है जहां ऑक्सीजन का स्तर कम होता है. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
इस घटना ने पूरे निरमंड क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ा दी है। तीनों परिवारों में मातम छाया हुआ है। स्थानीय लोग इस घटना से सदमे में हैं। भेड़ पालकों के जीवन में आने वाली चुनौतियों को इस घटना ने एक बार फिर उजागर किया है। ऊंचे पहाड़ी इलाकों में काम करने वाले इन पालकों को कई प्रकार के खतरों का सामना करना पड़ता है.
परिवारों की मुश्किलें और स्थानीय प्रतिक्रिया
तीनों भेड़ पालकों के परिवार इस समय गहरे दुख में हैं। उन्होंने बताया कि ये पालक सामान्यतः एक सप्ताह से दस दिनों तक पहाड़ों में रहकर अपने पशुओं को चराते थे। इस दौरान वे ऊंचे पहाड़ी इलाकों में बने छोटे ठहराव स्थलों पर रुकते थे। परिवार वालों को जब उनका फोन नहीं लगा तो उन्हें चिंता हुई और वे खोजबीन में निकल पड़े.
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस प्रकार की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। ऊंचे पहाड़ी इलाकों में मौसम की मार और प्रकृति की कठोर परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। भेड़ पालकों को अक्सर इन खतरों का सामना करना पड़ता है। स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित परिवारों से संपर्क साधा है और हर संभव मदद का आश्वासन दिया है.
श्रीखंड मार्ग की चुनौतियां और सुरक्षा मानदंड
श्रीखंड यात्रा मार्ग अपनी कठिनाईयों के लिए जाना जाता है। यह मार्ग समुद्र तल से काफी ऊंचाई पर स्थित है। इस क्षेत्र में ऑक्सीजन का स्तर कम होता है और मौसम अचानक बदल सकता है। भेड़ पालकों को इन परिस्थितियों में लंबे समय तक रहना पड़ता है। उनके पास पर्याप्त सुरक्षा उपकरण और संसाधनों की कमी होती है.
स्थानीय प्रशासन ने पहाड़ी इलाकों में काम करने वाले भेड़ पालकों के लिए सुरक्षा दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनमें मौसम की जानकारी रखना, पर्याप्त गर्म कपड़े रखना और संचार उपकरण साथ रखना शामिल है। हालांकि, इन दिशा-निर्देशों का पालन हमेशा नहीं हो पाता है। इस घटना के बाद प्रशासन ने भेड़ पालकों की सुरक्षा को लेकर गंभीरता दिखाई है.
पुलिस जांच और भविष्य की कार्रवाई
पुलिस ने इस मामले में विस्तृत जांच शुरू की है। डीएसपी चंद्रशेखर कायथ के नेतृत्व में एक टीम मौके पर पहुंची है। टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और सबूत एकत्र किए। शवों को पोस्टमार्टम के लिए निरमंड ले जाया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आग की कार्रवाई की जाएगी.
पुलिस का कहना है कि अगर मौत की वजह प्राकृतिक कारण पाई जाती है तो मामला बंद कर दिया जाएगा। हालांकि, अगर किसी अन्य कारण का पता चलता है तो उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने परिवार वालों से भी बातचीत की है और उन्हें न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है.
स्थानीय समुदाय पर प्रभाव
इस घटना का स्थानीय समुदाय पर गहरा प्रभाव पड़ा है। भेड़ पालन इस क्षेत्र के लोगों के लिए आजीविका का प्रमुख स्रोत है। इस घटना ने भेड़ पालकों के बीच डर पैदा कर दिया है। कई पालक अब ऊंचे पहाड़ी इलाकों में जाने से हिचकिचा रहे हैं। स्थानीय लोग प्रशासन से भेड़ पालकों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं.
स्थानीय प्रशासन ने भेड़ पालकों के लिए एक सुरक्षा योजना बनाने का विचार किया है। इसमें पालकों का पंजीकरण, उनके लिए सुरक्षा उपकरणों की व्यवस्था और आपातकालीन संचार सुविधाएं शामिल हो सकती हैं। इसके अलावा मौसम चेतावनी प्रणाली को भी मजबूत करने पर विचार किया जा रहा है.
यह घटना हिमाचल प्रदेश के दूरस्थ पहाड़ी इलाकों में रहने वाले समुदायों की चुनौतियों को उजागर करती है। भेड़ पालकों के सामने आने वाली मुश्किलों और जोखिमों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। प्रशासन और स्थानीय समुदाय को मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के उपाय करने होंगे.
