Himachal News: हिमाचल प्रदेश ने चिट्टा जैसे नशीले पदार्थों की तस्करी के खिलाफ एक मजबूत मॉडल पेश किया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व और पुलिस महानिदेशक अशोक तिवारी की रणनीति के तहत राज्य ने जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई है। यह लड़ाई केवल कानून व्यवस्था नहीं बल्कि एक जन आंदोलन बन गई है। इसमें सरकार, पुलिस और आम नागरिक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। उनका लक्ष्य युवाओं को नशे के जाल से बचाना और राज्य को नशामुक्त बनाना है।
चिट्टा एक अत्यंत खतरनाक नशीला पदार्थ है। यह मुख्य रूप से युवाओं के स्वास्थ्य और भविष्य को नष्ट कर रहा है। इसकी तस्करी अक्सर अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय अपराध नेटवर्क से जुड़ी होती है। इसलिए यह मुद्दा सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है। हिमाचल प्रदेश में इसका उत्पादन नहीं होता है। इसीलिए रोकथाम और सतर्कता पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति
राज्य सरकार नेनारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस अधिनियम का सख्ती से पालन करने का फैसला किया है। इस कानून के तहत 250 ग्राम या अधिक हेरोइन रखने पर कम से कम दस साल की सजा का प्रावधान है। भारी जुर्माना और अवैध संपत्ति जब्ती भी की जा सकती है। पुलिस की रणनीति केवल गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है। उनका लक्ष्य पूरे नशा तस्करी नेटवर्क को नष्ट करना है।
इसके लिए मजबूत जांच और आर्थिक जांच पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। तस्करी नेटवर्क की वित्तीय कमर तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। राज्यों के बीच खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान बढ़ाया गया है। आदतन अपराधियों पर निवारक कार्रवाई की जा रही है। सजा की दर बढ़ाने पर भी पुलिस का फोकस है।
जनभागीदारी और इनाम योजना
मुख्यमंत्रीसुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस लड़ाई को राज्य की नैतिक जिम्मेदारी बताया है। उन्होंने कहा है कि युवाओं के भविष्य की रक्षा करना सरकार का प्रमुख कर्तव्य है। राज्यव्यापी जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। वॉकथॉन और सामुदायिक बैठकों के माध्यम से लोगों को जोड़ा जा रहा है। सरकार ने मुखबिरों के लिए एक आकर्षक इनाम योजना भी शुरू की है।
इस योजना के तहत चिट्टा तस्करों की सूचना देने वालों को आर्थिक पुरस्कार दिया जाएगा। दो ग्राम तक की खेप की सूचना पर दस हजार रुपये का इनाम मिलेगा। दो से पांच ग्राम के लिए पच्चीस हजार रुपये दिए जाएंगे। पांच से पच्चीस ग्राम तक की सूचना पर पचास हजार रुपये का इनाम है। पच्चीस ग्राम से एक किलो तक के मामले में एक लाख रुपये दिए जाएंगे।
पुलिस की अपील और हेल्पलाइन
एक किलोग्राम सेअधिक की खेप की सूचना पर पांच लाख रुपये का इनाम रखा गया है। संगठित गिरोह की जानकारी देने पर दो लाख रुपये या अधिक का पुरस्कार मिल सकता है। सूचना देने वाले की पहचान को पूरी तरह गोपनीय रखा जाएगा। पुलिस ने हेल्पलाइन नंबर 112 को इस काम के लिए निर्दिष्ट किया है। नागरिक इस नंबर पर कॉल करके गोपनीय सूचना दे सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश पुलिस ने सभी नागरिकों से सक्रिय सहयोग की अपील की है। उनका कहना है कि लोग सतर्क रहें और बिना किसी डर के जानकारी साझा करें। नशामुक्त हिमाचल का लक्ष्य केवल सरकार का लक्ष्य नहीं है। यह समाज की साझा जिम्मेदारी बन गई है। हर नागरिक की सहभागिता इस अभियान की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।
कानूनी प्रावधान और सजा
नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस अधिनियम,1985 के तहत कड़े प्रावधान हैं। यह कानून नशीले पदार्थों की मात्रा के आधार पर सजा तय करता है। बड़ी मात्रा में पकड़े जाने पर जमानत मिलना मुश्किल होता है। अवैध तस्करी से अर्जित संपत्ति को भी जब्त किया जा सकता है। कानून नशे के शिकार लोगों के इलाज और पुनर्वास का भी प्रावधान करता है।
पुलिस का दृष्टिकोण दोहरा है। एक ओर तस्करों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा रही है। दूसरी ओर नशे के आदी युवाओं को उपचार और पुनर्वास सुविधाएं दिलाने पर काम हो रहा है। इस संतुलित रणनीति का उद्देश्य समस्या की जड़ तक पहुंचना है। केवल दबाव बनाना ही पर्याप्त नहीं माना जा रहा है।
राष्ट्रीय नीति के साथ तालमेल
हिमाचल प्रदेश कीयह पहल नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की राष्ट्रीय नीति के अनुरूप है। राज्य ने कानून, खुफिया जानकारी, वित्तीय कार्रवाई और जन जागरूकता को समान महत्व दिया है। यह व्यापक दृष्टिकोण ही इस अभियान की सफलता की कुंजी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि नशे की लड़ाई में केवल पुलिस कार्रवाई पर्याप्त नहीं है।
सामुदायिक सहयोग और सामाजिक जागरूकता बेहद जरूरी है। हिमाचल प्रदेश का प्रयास इस दिशा में एक सार्थक कदम है। अन्य राज्य इस मॉडल से सीख ले सकते हैं। देश में नशीले पदार्थों का प्रसाद एक गंभीर समस्या है। इससे निपटने के लिए ठोस और समग्र रणनीति की आवश्यकता है।