Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में मानसून अपने आखिरी पड़ाव पर भी भारी तबाही लाया है। पिछले चौबीस घंटों में हुई मूसलाधार बारिश के बाद कई जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है। राज्य में इस मानसून सीजन में अब तक 424 लोगों की मौत हो चुकी है और 4,749 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
मौसम विभाग ने बिलासपुर, कांगड़ा, मंडी और सिरमौर जिलों के लिए गरज और वज्रपात के साथ भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। हमीरपुर जिले के लिए हल्की से मध्यम बारिश की चेतावनी दी गई है। यह अलर्ट अगले चौबीस घंटों के लिए मान्य है।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार, बारिश का सिलसिला अगले कुछ दिनों तक जारी रहेगा। उन्नीस और बीस सितंबर को मैदानी और मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश होने का पूर्वानुमान है। इसके बाद मौसम में सुधार की संभावना है।
मानसून के विदा होने की तारीख के बारे में मौसम विभाग ने कहा है कि सितंबर महीने के आखिरी दिनों में मानसून पूरी तरह से राज्य से विदा हो जाएगा। उच्च पर्वतीय इलाकों में चौबीस सितंबर तक मौसम साफ रहने का अनुमान है।
बारिश से हुई भारी तबाही
लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन ने जन जीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। बिलासपुर जिले के नैना देवी में सबसे ज्यादा एक सौ चालीस मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। बिलासपुर के ऋषिकेश इलाके में भूस्खलन से दो बसें मलबे में दब गईं, लेकिन चालक और कर्मचारी सुरक्षित बचाए गए।
सोलन जिले के झाड़माजरी औद्योगिक क्षेत्र में नाले के उफान से कई उद्योगों के भवनों में पानी घुस गया। मंडी जिले के सैन मोहल्ले में एक नाले ने भयंकर तबाही मचाई। वहां कई वाहन बह गए और घरों में मिट्टी भर गई।
यातायात व्यवस्था चरमराई
भूस्खलन के कारण राज्य की सड़क यातायात व्यवस्था एक बार फिर चरमरा गई है। राज्य आपात कालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक, दो राष्ट्रीय राजमार्ग और छह सौ चार सड़कें बंद हैं। कुल्लू जिले में दो सौ दो सड़कें बंद हैं, जो सबसे ज्यादा हैं।
बिजली और पेयजल आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। छत्तीसगढ़ में दो सौ अट्ठाईस ट्रांसफार्मर और दो सौ इक्कीस पेयजल योजनाएं बंद हो चुकी हैं। मंडी जिला सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है।
राज्य में अब तक एक हजार छह सौ चार मकान पूरी तरह ढह चुके हैं। सात हजार पच्चीस मकानों को आंशिक नुकसान पहुंचा है। पशुधन को भी भारी नुकसान हुआ है। दो हजार चार सौ अट्ठावन मवेशियों और छब्बीस हजार पोल्ट्री पक्षियों की मौत हो चुकी है।
