शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: दुनिया का सबसे ऊंचा कृष्ण मंदिर बर्फ की मोटी चादर में लिपटा, जानें कहां है स्थित

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश के रोर घाटी इलाके में स्थित दुनिया के सबसे ऊंचे कृष्ण मंदिर ने बर्फ का शानदार रूप धारण कर लिया है। तेरह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर हाल की भारी बर्फबारी के बाद सफेद चादर में लिपटा नजर आ रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में मंदिर और उसके आसपास का पूरा क्षेत्र बर्फ से ढका दिखाई दे रहा है।

वीडियो में मंदिर की पत्थर की दीवारें और प्रार्थना के रंगीन झंडे बर्फ के नीचे छिपे हुए हैं। पूरा दृश्य एक लुभावना और अद्भुत नजारा पेश करता है। यह नजारा भक्तों और साहसिक पर्यटकों दोनों को समान रूप से आकर्षित कर रहा है। मंदिर युल्ला कांडा झील के पास स्थित है जो अपने आप में एक पौराणिक महत्व रखती है।

मंदिर तक का ट्रेक है रोमांचक

इस मंदिर तक पहुंचनाकोई आसान काम नहीं है। मंदिर तक का ट्रेक लगभग बारह किलोमीटर लंबा है। यह रास्ता प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। ट्रेकर्स को रास्ते में जंगली फूलों के खूबसूरत मैदान और हरे-भरे घास के मैदान मिलते हैं। शांत झरने इस यात्रा के अनुभव को और भी खास बना देते हैं।

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ट्रेक के दौरान किन्नौर की पहाड़ियों के मनोरम दृश्य देखने को मिलते हैं। यह पूरा इलाका हिमाचल प्रदेश की अद्वितीय प्राकृतिक छटा का प्रतिनिधित्व करता है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार युल्ला कांडा झील का निर्माण पांडवों ने अपने वनवास काल के दौरान किया था। झील में स्नान को शारीरिक और मानसिक शुद्धि का स्रोत माना जाता है।

यात्रा का सही समय और मार्ग

मंदिर कीयात्रा आमतौर पर युल्ला खास गांव से शुरू होती है। जन्माष्टमी के पावन अवसर पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस दौरान इलाके में एक बड़े मेले का आयोजन भी किया जाता है। मंदिर का ढांचा साधारण है लेकिन वहां का वातावरण गहन भक्ति से भरा रहता है।

दर्शन करने के बाद भक्त वापस लौट सकते हैं या फिर झील के किनारे टेंट लगाकर रात बिता सकते हैं। रात का समय यहां विशेष आकर्षण रखता है। ठंडी हवाएं और चमकते तारों से भरा आसमान एक जादुई अनुभव प्रदान करता है। यह अनुभव पर्यटकों को लंबे समय तक याद रहता है।

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सर्दियों में यात्रा है चुनौतीपूर्ण

सर्दियोंके मौसम में मंदिर तक की यात्रा अत्यंत कठिन हो जाती है। भारी बर्फबारी और कड़ाके की ठंड के कारण रास्ते दुर्गम बन जाते हैं। इस मौसम में केवल अनुभवी ट्रेकर्स ही यहां पहुंचने का साहस जुटा पाते हैं। आम पर्यटकों के लिए मई से अक्टूबर का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है।

इन महीनों के दौरान मौसम सुहावना रहता है और बर्फबारी नहीं होती। ट्रेकिंग का रास्ता भी सुरक्षित और स्पष्ट रहता है। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में साहसिक पर्यटन में निरंतर वृद्धि हो रही है। मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य के कारण भी महत्वपूर्ण है।

यह मंदिर हिमाचल प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का प्रतीक है। बर्फ में लिपटा यह दृश्य पर्यटकों को एक अलग ही दुनिया में ले जाता है। प्रकृति प्रेमियों और तस्वीरें खींचने के शौकीनों के लिए यह स्थान स्वर्ग के समान है। यहां की यात्रा एक अविस्मरणीय अनुभव साबित होती है।

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