शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: पश्चिमी विक्षोभ लाएगा मौसम में बदलाव, 5 दिसंबर से ऊंचे इलाकों में होगी बर्फबारी

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश में दिसंबर का महीना मौसम के नए बदलाव के साथ शुरू होगा। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, एक नए पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव में आने से 5 दिसंबर से राज्य के ऊंचाई वाले इलाकों में हिमपात की संभावना है। 4 दिसंबर तक मौसम शुष्क रहने के बाद स्थितियां बदलना शुरू होंगी। इससे मध्यम और उच्च पहाड़ी क्षेत्रों में हल्की बारिश और बर्फबारी हो सकती है, जिसके चलते अगले हफ्ते कड़ाके की सर्दी पड़ेगी .

मौसम विभाग के नवीनतम पूर्वानुमान के मुताबिक, 4 दिसंबर को केवल ऊंचे पहाड़ों पर कुछ स्थानों पर हल्की बारिश या बर्फबारी होगी। 5 दिसंबर को यह प्रभाव बढ़कर मध्यम और ऊंचे दोनों प्रकार के पहाड़ी इलाकों में फैल जाएगा। इस पूरे मौसमी बदलाव का कारण इस क्षेत्र में दस्तक दे रहा एक नया पश्चिमी विक्षोभ है . यह विक्षोभ भूमध्य सागर क्षेत्र में बनता है और पश्चिमी जेट धाराओं के साथ भारत तक पहुंचता है .

राज्य में पहले ही पड़ चुकी है कड़ाके की ठंड

पश्चिमी विक्षोभ के आगमन से पहले ही हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में ठंड ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। लाहौल-स्पीति जिले के ताबो में न्यूनतम तापमान माइनस 7.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो इस मौसम की अब तक की सबसे ठंडी रातों में से एक थी . कुकुमसेरी में भी तापमान -4.8 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया . राज्य के 22 से अधिक स्थानों पर न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से कम रिकॉर्ड किया गया है .

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तापमान में पहले ही सामान्य से 2-3 डिग्री की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। अधिकतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस से 29 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा। मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है कि सर्दियों के और गहराने के साथ-साथ आने वाले दिनों में तापमान में और गिरावट आने की उम्मीद है . इसकी एक बड़ी वजह पश्चिमी विक्षोभ का प्रभावी होना भी है।

भाखड़ा डैम और बल्ह घाटी में छाएगा घना कोहरा

मौसम विभाग ने बिलासपुर जिले में भाखड़ा डैम जलाशय के आसपास और मंडी जिले की बल्ह घाटी के क्षेत्रों में घने कोहरे की चेतावनी जारी की है . 29 नवंबर से 1 दिसंबर तक इन इलाकों में सुबह और देर रात के समय घना कोहरा छाए रहने की संभावना है . इससे दृश्यता काफी कम हो सकती है और यातायात प्रभावित हो सकता है।

विभाग ने गाड़ी चलाने वालों को सलाह दी है कि सुबह जल्दी और देर रात की यात्रा के दौरान विशेष सावधानी बरतें। कोहरे के दौरान वाहन चलाते समय फॉग लाइट का इस्तेमाल करना अनिवार्य है। इससे दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित हो सकती है . यातायात विभाग ने भी इन इलाकों में ड्राइवरों को सतर्क रहने की हिदायत दी है।

पश्चिमी विक्षोभ क्या है और क्यों है महत्वपूर्ण

पश्चिमी विक्षोभ एक प्रकार की अ-मानसूनी तूफानी प्रणाली है जो भूमध्य सागर से उत्पन्न होती है . यह सर्दियों के महीनों में भारत, पाकिस्तान और हिमालयी क्षेत्रों में बारिश और बर्फबारी लेकर आती है . पश्चिमी जेट धाराओं के प्रभाव से यह पूर्व की ओर बढ़ती है और हिमालय से टकराकर अपनी नमी बारिश या बर्फ के रूप में छोड़ देती है .

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भारत की जलवायु प्रणाली में पश्चिमी विक्षोभ का विशेष महत्व है। यह न केवल सर्दियों में होने वाली बर्फबारी और बारिश के लिए जिम्मेदार है, बल्कि रबी की फसलों के लिए भी जीवनदायी साबित होता है . इससे नदियों और भूजल स्रोतों को भी पुनर्भरित करने में मदद मिलती है। इसके बिना उत्तर भारत का मौसम बेहद सूखा और ठंडा रह जाएगा .

ऊंचाई वाले इलाकों के निवासियों के लिए सलाह

मौसम विभाग ने ऊंचाई वाले इलाकों में रहने वाले निवासियों को हिमपात के कारण होने वाली संभावित दिक्कतों के लिए पहले से तैयार रहने की सलाह दी है . बर्फबारी से सड़कें बंद हो सकती हैं और दैनिक जीवन प्रभावित हो सकता है। ऐसे में जरूरी सामान की आपूर्ति पहले से ही सुनिश्चित कर लेना उचित रहेगा।

इसी कड़ी में, चूड़धार यात्रा पर एक दिसंबर से पूरी तरह से प्रतिबंध लग जाएगा। यह प्रतिबंध अप्रैल तक जारी रहेगा। प्रशासन ने यह निर्णय श्रद्धालुओं की सुरक्षा और जनहित को ध्यान में रखते हुए लिया है . खराब मौसम, बर्फबारी और अत्यधिक ठंड के कारण हर साल की तरह इस बार भी यह कदम उठाया गया है।

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