Himachal News: हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकाय चुनाव को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। जनवरी के अंतिम सप्ताह तक होने वाले चुनाव पर भारी हिमपात की आशंका के कारण संशय की स्थिति है। अगर मौसम बाधा बना तो जनवरी की बजाय चुनाव अप्रैल-मई में करवाए जा सकते हैं। राज्य निर्वाचन आयोग समय पर चुनाव करवाने के लिए पूरा जोर लगा रहा है।
दिसंबर के बाद लाहुल स्पीति, किन्नौर, कुल्लू और चंबा के भरमौर व पांगी जैसे दुर्गम इलाकों में हिमपात से संपर्क सड़कें बंद हो जाती हैं। स्पीति में पहले से ही पंचायत चुनाव अप्रैल-मई में करवाए जाते हैं। इस बार भी मौसम की समस्या के चलते इसी समयावधि में चुनाव होने की संभावना है।
निर्वाचन आयोग की तैयारियां जारी
राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव समय पर करवाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। आयोग ने इस संबंध में सभी जिला अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी किए हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में जिला उपायुक्तों के साथ वीडियो कांफ्रेंस कर तैयारियों की समीक्षा की थी।
पंचायतों के पुनर्सीमांकन के प्रस्ताव विभाग ने 15 नवंबर तक मांगे हैं। यदि सीमाओं में बदलाव होता है तो राज्य निर्वाचन आयोग की तैयार मतदाता सूची का अंतिम ड्राफ्ट प्रभावित होगा। इससे चुनाव प्रक्रिया में और देरी होने की आशंका है।
तकनीकी प्रक्रियाओं में देरी
चुनाव के लिए अधिसूचना जारी होने से लेकर मतदान और मतगणना तक कम से कम 28 दिन का समय चाहिए। अभी तक प्रदेश में आरक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। पुनर्सीमांकन प्रक्रिया के पूरा होने के बाद ही मतदाता सूची को अंतिम रूप दिया जा सकेगा।
सूत्रों के अनुसार वर्तमान परिस्थितियों में दिसंबर में चुनाव करवाना मुश्किल है। इतनी जल्दी सभी तैयारियां पूरी नहीं हो सकती हैं। 15 जनवरी के बाद प्रदेश में हिमपात होता है और सड़कें बंद होने से चुनाव करवाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
अगले सप्ताह हो सकती है अहम बैठक
राज्य निर्वाचन आयुक्त जल्द ही सभी अधिकारियों और उपायुक्तों की बैठक बुला सकते हैं। इस बैठक में चुनाव की तिथि पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। आयोग ने पहले ही निर्देश दिए थे कि पुनर्सीमांकन प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाए।
जनवरी 2021 में कोरोनाकाल के दौरान भी पंचायत चुनाव अप्रैल-मई में करवाने की मांग उठी थी। तब तर्क दिया गया था कि ऐसा बदलाव भविष्य के लिए लाभदायक होगा। इससे हिमपात के दौरान चुनाव नहीं करवाने पड़ेंगे और प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सकेगी।
पंचायतों और शहरी निकायों के चुनाव समय पर करवाना आवश्यक माना जा रहा है। पंचायतों की सीमाओं में किसी भी तरह का बदलाव होने पर मतदाता सूची प्रभावित होगी। इस संबंध में विस्तृत निर्देश पहले ही दिए गए हैं। अधिकारियों की आगामी बैठक के बाद ही स्पष्ट तस्वीर उभर कर सामने आएगी।
