Himachal News: हिमाचल प्रदेश में मौसम चक्र बदलता दिख रहा है। मानसून सीजन में सामान्य से 42 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई। अक्तूबर के पहले सप्ताह में ही कई रिहायशी इलाकों में बर्फबारी शुरू हो गई। सात साल बाद इतनी जल्दी बर्फबारी देखने को मिली है।
किन्नौर, लाहुल-स्पीति, चंबा और कुल्लू जिलों में रात का तापमान शून्य से नीचे चला गया। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के वैज्ञानिक संदीप कुमार के अनुसार अक्तूबर में इतना सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ कई वर्षों बाद देखा गया। यह एक असामान्य मौसमी परिवर्तन है।
रिकॉर्ड तोड़ बारिश का असर
मानसून सीजन के दौरान प्रदेश में तीस साल बाद रिकॉर्ड बारिश दर्ज की गई। 1995 के बाद इस साल बरसात के मौसम में सबसे अधिक बारिश हुई। 1995 में 1029 एमएल बारिश दर्ज की गई थी जबकि इस बार 1023 एमएल बारिश हुई। यह आंकड़े चिंताजनक हैं।
मानसून के दौरान प्रदेश में पचास स्थानों पर बादल फटे। बाढ़ की अट्ठानबे और भूस्खलन की एक सौ अड़तालीस घटनाएं दर्ज की गईं। इन प्राकृतिक आपदाओं ने जनजीवन को प्रभावित किया। अब मौसम में अचानक परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
मौसम पैटर्न में बदलाव
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार अगले सात दिनों तक मौसम पूरी तरह साफ रहने की संभावना है। हालांकि मौसम की ऐसी घटनाएं अब सामान्य होती जा रही हैं। पहले बर्फबारी नवंबर या दिसंबर महीने में शुरू होती थी। अब यह समय पहले हो गया है।
बढ़ता वैश्विक तापमान वायुमंडल में अधिक नमी पैदा कर रहा है। इससे भारी बारिश और उसके बाद तीव्र ठंड की संभावना बढ़ जाती है। हिमाचल प्रदेश में मौसम के पारंपरिक पैटर्न टूट रहे हैं। यह एक नए मौसम चक्र की शुरुआत हो सकती है।
भविष्य की चुनौतियां
मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में ऐसी घटनाएं बढ़ सकती हैं। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव स्पष्ट दिखाई दे रहा है। पहाड़ी राज्यों में मौसम के पैटर्न तेजी से बदल रहे हैं। इससे कृषि और पर्यटन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
स्थानीय निवासियों को मौसम के इन बदलावों का सामना करना पड़ रहा है। बेमौसम बर्फबारी और भारी वर्षा से दैनिक जीवन प्रभावित होता है। पर्यटन उद्योग को भी इससे चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। मौसम की अनिश्चितता बढ़ती जा रही है।
हिमाचल प्रदेश में मौसम का यह नया चक्र वैज्ञानिकों के लिए अध्ययन का विषय बना हुआ है। आने वाले समय में मौसम के और भी बदलाव देखने को मिल सकते हैं। स्थानीय प्रशासन को इन परिवर्तनों के अनुरूप अपनी तैयारियां करनी होंगी। यह स्थिति भविष्य के लिए संकेत देती है।
