बुधवार, दिसम्बर 24, 2025

Himachal Pradesh: पाताल में जा रहा पानी, इन 4 जिलों पर गहराया बड़ा संकट, रिपोर्ट देख उड़ जाएंगे होश

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश में पानी का गहरा संकट खड़ा हो रहा है। केंद्रीय भूजल बोर्ड की ताज़ा रिपोर्ट डराने वाली है। राज्य के चार प्रमुख जिलों में जमीन का पानी (Groundwater) खतरनाक स्तर तक नीचे चला गया है। कांगड़ा, ऊना, सोलन और सिरमौर के कई इलाकों में पानी 60 फुट (20 मीटर) से भी ज्यादा गहराई में पहुंच चुका है। रिपोर्ट के अनुसार अगर जल्द ही कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में लोगों को पीने के पानी के लिए तरसना पड़ सकता है। बोर्ड ने सरकार को तुरंत एक्शन लेने की सलाह दी है।

मानसून के बाद भी नहीं टला खतरा

मानसून की बारिश ने थोड़ी राहत जरूर दी है, लेकिन खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि साल 2024 में मानसून के बाद इन जिलों का 12.69 फीसदी इलाका डेंजर जोन में था। साल 2025 की गर्मियों से पहले (प्री-मानसून) यह आंकड़ा बढ़कर 15.02 फीसदी हो गया। इस साल अच्छी बारिश के कारण अब गहरे भूजल वाले क्षेत्रों का दायरा घटकर 10.89 फीसदी रह गया है। कांगड़ा के नूरपुर, इंदौरा व पालमपुर और सोलन की नालागढ़ बेल्ट में हालात चिंताजनक हैं। इसके अलावा सिरमौर की पांवटा वैली और ऊना के हरोली, गगरेट व सदर क्षेत्र में भी जलस्तर तेजी से गिर रहा है।

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धर्मशाला केंद्र ने 218 स्रोतों की जांच की

केंद्रीय भूजल बोर्ड के उत्तरी हिमालय क्षेत्र धर्मशाला ने अगस्त 2025 में एक बड़ा सर्वे किया। टीम ने कुल 218 जल स्रोतों की बारीकी से निगरानी की। इसमें 127 खुदे हुए कुएं, 66 पाइजोमीटर और 25 प्राकृतिक झरने शामिल थे। नेशनल ग्राउंड वाटर मॉनीटरिंग प्रोग्राम की रिपोर्ट कहती है कि हिमाचल प्रदेश के 89.11 फीसदी हिस्से में पानी अभी भी ठीक स्तर पर है। लेकिन 10.89 फीसदी हिस्सा ऐसा है जहां पानी 20 मीटर से ज्यादा नीचे चला गया है। यह गिरावट भविष्य के लिए एक बड़ी चेतावनी है।

पानी पाताल में क्यों जा रहा है?

रिपोर्ट में भूजल गिरने की कई बड़ी वजहें बताई गई हैं। प्रदेश में आबादी बढ़ने से पानी की मांग बढ़ी है। अंधाधुंध निर्माण कार्यों के कारण जमीन पक्की हो गई है। इस वजह से बारिश का पानी रिसकर जमीन के अंदर नहीं जा पाता और भूजल रिचार्ज नहीं होता। अब बारिश भी नियमित नहीं रही। कम समय में बहुत तेज बारिश होती है और सारा पानी बह जाता है। पुराने प्राकृतिक जल स्रोत जैसे नाले, बावड़ियां और झरने सूख रहे हैं। इनके सूखने से ग्रामीण आबादी पूरी तरह से भूजल और बोरवेल पर निर्भर हो गई है।

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बोरवेल पर लगेगी रोक, सरकार का एक्शन प्लान

केंद्रीय भूजल बोर्ड ने प्रभावित इलाकों में बोरवेल लगाने पर सख्त निगरानी की सलाह दी है। बोर्ड ने कहा है कि चेक डैम और रिचार्ज टैंक तेजी से बनाए जाएं। जल शक्ति विभाग के चीफ इंजीनियर (उत्तर क्षेत्र) दीपक गर्ग ने बताया कि 2024 में ‘सोर्स सस्टेनेबिलिटी योजना’ लागू की गई है। इसके तहत हर प्रोजेक्ट की 10 फीसदी राशि जल स्रोतों को बचाने पर खर्च होगी।

उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने भी साफ किया है कि सरकार जल शक्ति अभियान पर फोकस कर रही है। ‘पर्वत धारा योजना’ के जरिए बारिश के पानी को इकट्ठा करने और पुराने तालाबों को जिंदा करने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। सरकार का मकसद गिरते जलस्तर को हर हाल में रोकना है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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